नोटों की गड्डी से जनसुनवाई खरीदने उतरा अरपा कोल प्रबंधन !
प्रबंधन की करतूतें उजागर, ग्रामीणों से सजग रहने की अपील।

ग्रामीणों को दिग्भ्रमित करने की साज़िश
बिलासपुर hct : जिले के प्रस्तावित क्षेत्र में अरपा कोल वाशरी प्रबंधन ने जनसुनवाई को सफल दिखाने के लिए नई चालें चलना शुरू कर दी हैं। जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव, टाकेश्वर पाटले ने मीडिया को बताया कि ग्रामीणों को दिग्भ्रमित करने अरपा कोल प्रबंधन रात-रात भर बैगो मे नोट भर-भर कर बाट रहे उन्होंने ग्रामीण साथियों प्रबंधन के झासे से रहे दूर रहने को आगाह किया है। इस साज़िश का सबसे ज्यादा असर उन परिवारों पर पड़ रहा है जो वर्षों से यहाँ रह रहे हैं और जिनकी रोज़ी-रोटी इसी ज़मीन और जलस्रोत पर निर्भर है।
कांग्रेस नेताओं का आरोप और चेतावनी
जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव और मिनिमाता प्रबंधन समिति के संरक्षक टाकेश्वर पाटले, उपाध्यक्ष उदय भार्गव और युवा नेता विश्वजीत अनंत ने मीडिया से चर्चा में कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी प्रबंधन को वापस लौटना पड़ेगा। नेताओं का कहना है कि नोट बांटने और झूठे आश्वासन से ग्रामीणों को गुमराह करने की कोशिशें हो रही हैं, जबकि सच्चाई यह है कि कोल वाशरी का कोई स्थायी मार्ग तक नहीं है।
सड़क और किसानों पर खतरा
ग्रामीणों की आवाज़ और नेताओं के आरोपों में यह भी स्पष्ट किया गया कि वाशरी खुलने पर भारी-भरकम ट्रक हर पाँच मिनट में गुजरेंगे। इससे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मनरेगा के तहत बनी सड़कों की हालत बिगड़ जाएगी। साथ ही, इन सड़कों के नीचे बिछी गैस पाइपलाइन पर दुर्घटना का बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
धार्मिक स्थल और जलस्रोत पर संकट
प्रस्तावित स्थल पर ‘राउत राय’ नामक धार्मिक स्थल मौजूद है, जिसका अस्तित्व इस परियोजना से मिटने की आशंका जताई जा रही है। इतना ही नहीं, समीप बहने वाला विख्यात नाला हजारों एकड़ खेतों की सिंचाई का प्रमुख स्रोत है। कोल डिपो के खुल जाने से किसानों की फसल और पूरे समाज की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।
नोटों के लालच में बदलते चेहरे
टाकेश्वर पाटले ने कटाक्ष करते हुए कहा कि पिछली बार विरोध में खड़े रहे कुछ लोग अब नोटों की गड्डियां थामकर प्रबंधन की दलाली कर रहे हैं। यही वजह है कि आम ग्रामीणों और समाज को सजग रहने की ज़रूरत है।
फार्महाउस और रेस्टहाउस में बांटे जा रहे नोट
जानकारों का दावा है कि 23 और 24 तारीख को आसपास के कई फार्महाउस और रेस्टहाउस में नोट बांटने का अभियान चलाया गया। इसका मकसद केवल इतना है कि जनसुनवाई को प्रबंधन अपनी जीत साबित कर सके। नेताओं ने प्रशासन से मांग की है कि प्रबंधन पर कड़ी नज़र रखी जाए और ग्रामीणों को दिग्भ्रमित करने की इस चाल को तुरंत रोका जाए।
