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Chhattisgarh

7 आदिवासियों को डीआरजी ने किया अगवा, फर्जी मुठभेड़ का अंदेशा…

डीआरजी यानी “डिस्ट्रक्ट रिजर्व गार्ड” पुराने नक्सलियों का समूह है, जिसे सरकार ने गठित किया है, पहले इन्हें सरकार एसपीओ कहती थी। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इनका नाम बदलकर डीआरजी कर दिया गया है। अब यह सरकार की तरफ से हिंसा कर रहे हैं।

रायपुर (hct)। दिनांक 21 मई दंतेवाड़ा जिला के नेलगुडा घाट के पास डीआरजी के जवानों द्वारा दो ग्रामीणों को नक्सली बताकर मार दिए जाने की घटना को बीते महज दो दिन ही हुए थे कि दिनांक 24 मई को उसी डीआरजी के सिपाहियों द्वारा दंतेवाड़ा के एटापाल थानान्तर्गत ग्राम कटेकल्याण से 7 आदिवासी युवाओं को डीआरजी के सिपाही अगवा करके ले गए।

हिमांशु कुमार
उक्त जानकारी प्रदेश के जाने माने समाज सेवक हिमांशु कुमार जी सार्वजानिक करते अपने फेसबुक वाल से में लिखते है कि – “अगवा किए गए लोगों की कानूनी तौर पर कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। इन सात आदिवासी युवाओं में 2 लड़कियां हैं; जिसमें से एक नाबालिग है। गांव वालों ने मुझसे कहा है कि मैं इसकी खबर सार्वजनिक कर दूं ताकि आज रात में इन आदिवासी युवाओं की पुलिस हत्या ना कर सके।”

अगवा किए गए आदिवासियों की सूची –

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक तो परिवार के लोगों को हर गिरफ्तारी की सूचना उन पर लगाए गए इल्ज़ाम तथा पुलिस वालों के नाम और गिरफ्तारी की वजह बतानी जरूरी है। लेकिन; संविधान, कानून, नियम सब की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आदिवासियों की जिंदगी कीड़े मकोड़ों से भी ज्यादा बदतर बना दी गई है। नागरिक के अधिकार, मानव अधिकार कानून और संविधान मजाक की चीज बनकर रह गई है।

डीआरजी पुराने नक्सलियों का समूह है। जिसे सरकार ने गठित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुराने नक्सलियों से बंदूकें वापस लेने का आदेश दिया था। पहले इन्हें सरकार एसपीओ कहती थी।

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इनका नाम बदलकर डीआरजी कर दिया गया है। यह पुराने नक्सली; कानून, नियम, संविधान किसी चीज को नहीं मानते। गांव में जाकर मनमर्जी लूटपाट, हत्या, बलात्कार करते हैं। अब यह सरकार की तरफ से हिंसा कर रहे हैं। इन्हीं लोगों ने कुछ समय पहले मेरा तथा अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का पुतला जलाया था। हम अब नई सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करें और इन पुराने नक्सलियों से हथियार वापस ले।

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