फर्जी मुठभेड़ : जिसे पुलिस ने 8 लाख का इनामी नक्सली बताकर मार गिराया !
मरने वाले में 15 साल का बच्चा शामिल
21 मई को दंतेवाड़ा के नेलगुडा घाट में छत्तीसगढ़ पुलिस (डीआरजी के जवानों) ने नक्सली मुठभेड़ का अमलीजामा पहनाकर एक नाबालिग आदिवासी बच्चा रिशुराम इस्ताम, १५ वर्ष की और एक अन्य ग्रामीण की हत्या कर दी।
एक प्रगतिशील, सेकुलर, निष्पक्ष लेखक ने तो इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए बच्चे का नाम जानबुझकर इस्ताम की जगह इस्लाम लिखा। लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से सवाल कर पाएं।
चौकिए मत, बस्तर को यह भाजपा शासनकाल की देन है; जिसे वर्तमान सरकार भी शायद अपनी राजनीतिक आभा को बरक़रार रखने मौन स्वीकृति दे रखी है ! और यह कोई पहली घटना भी नहीं है। मगर अफ़सोस, कोरोना काल में यह खबर दबकर रह गई अथवा दबा दी गई; एक लावारिस लाश की तरह …! और हमारी मीडिया की इस खबर को लेकर ख़ामोशी समझ से परे है….? किन्तु इस (पत्रकारिता जगत) समुदाय में कुछ ऐसे भी लोग है जिन्हें; ‘सच’ जब तक सामने नहीं ले आते; उन्हें चैन नहीं आता…. सलाम है उस पत्रकार को जिनके मार्फ़त यह खबर आप तक पहुँचा पाने में हम सफल हुए।
रायपुर। घटना दिनांक 21 मई 2020 को जिला दंतेवाड़ा के नेलगुडा घाट के पास की है। घटना स्थल के पास मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने पत्रकारों को बताया कि गांव से कुछ लोग सोसायटी से राशन लेने के लिए आए हुए थे और वे नाव में जैसे ही सवार होने वाले थे कि जवानों ने उन्हें रोककर सामान्य पूछताछ में जानकारी लेते हुए उनमें से दो लोगों को पकड़कर उन्हें बांध दिया और अन्य ग्रामीणों जाने के लिए कहकर पकडे गए दोनों लोगों को कहीं दूसरी जगह ले गए साथ गए लोगों ने बताया कि कुछ ही देर में गोलीबारी की आवाज आई।
यह पूछे जाने पर कि जिन दो लोगों के बारे में उनके (प्रत्यक्षदर्शी के) द्वारा बताया जा रहा हैं, कहा जाता कि वे दोनों नक्सली थे और उनके पास से बंदूकें भी थी तो बताया गया कि ‘जब वे राशन लेने हमारे साथ आए; तब उनके पास कोई हथियार नहीं था, और उनके नक्सली होने की बात को नकारते हुए यह बताया कि वे जनमिलिशिया सदस्य थे; न कि नक्सली
देखिए वीडियो, क्या कहा प्रत्यक्षदर्शी मनुराम इस्ताम ने…
दंतेवाड़ा नेलगुडा में हुए मुठभेड़ को ग्रामीणों एवं परिजनों ने बताया फर्जी।
21 मई को नेलगुडा घाट में डीआरजी के जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जिसमे जिला पुलिस ने दो इनामी नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था, ग्रामीणों और मृतक के परिजनों ने फर्जी बताया है; और पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि : उन्हें पकड़ कर गोली मारे हैं दोनों जनमिलिशिया के सदस्य थे, दोनों के पास नहीं था कोई हथियार। गोली मारने के बाद शव के पास हथियार रखने की बात भी की ग्रामीणों ने। नक्सली-पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए दर्जनों ग्रामीण और मृतक के परिजन दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय पंहुचे,
ज्ञात हो कि दंतेवाड़ा पुलिस ने दावा किया था कि, नेलगुडा घाट में सर्चिंग के दौरान हुई नक्सली-पुलिस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो हार्डकोर इनामी नक्सलियों को मार गिराया है एवं इन नक्सलियों के शव के पास से भरमार बन्दुक भी बरामद हुए हैं। पुलिस के इस दावे को झूठा बताते हुए मृतक के परिजन और ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि मारे गए दोनों गांव के जनमिलिशिया सदस्य थे न कि कोई हार्डकोर नक्सली और लोग छोटे तुमनार सोसायटी में राशन लेने आए थे, जिन्हें सुरक्षा बलों ने नेलघाट से पकड़कर अपने साथ ले गए थे और दूर ले जाकर गोली मारकर हत्या कर दिए; एवं हत्या के बाद शव के समीप भरमार बन्दुक रख दिए। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्त्ता सोनी सोढ़ी भी आंदोलन करने के मूड में है।
मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्त्ता सोनी सोढ़ी का कथन है…
इस पूरे मामले में दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि दोनों लम्बे समय से नक्सल संगठन से जुड़े थे और नक्सलियों के दबाव में नक्सल संगठन नहीं छोड़ पा रहे थे किन्तु मुठभेड़ पूरे तरीके से सहीं है।
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