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लॉक डाउन का पालन नहीं करने पर धारा 269, 270 और धारा 188 के तहत हो सकती है सजा। देखें; क्या कहता है कानून…

*एस. पी. यादव।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिन के सख्त लॉकडाउन की घोषणा की है. इसे नहीं मानने पर सेक्शन 269, सेक्शन 270 और सेक्शन 188 के अनुसार आपको सज़ा हो सकती है. देखें क्या कहता है कानून

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साफ़ किया है कि आग की तरह फैलते कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार के पास सोशल डिस्टेंसिंग ही एक मात्र उपाय है. इसी वजह से 21 दिन के टोटल लॉकडाउन की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि इसे कर्फ्यू ही समझा जाए. अगर आपको हम बताएं कि आप अगर इस लॉकडाउन को गंभीरता ने नहीं लेंगे तो आपको 2 साल तक की जेल हो सकती है और जुर्माना अलग से भरना पड़ सकता है।

जो लोग बिना कारण घरों से निकल रहे हैं और लॉक डाउन का पालन नहीं कर रहे, उन पर शासन ने धारा 188 लागू करने के आदेश दिए हैं

भारत में कोरोना वायरस से अब तक लगभग 40 लोगों की मौत हो चुकी है 1700 लोग संक्रमित हो चुके हैं. दुनियाभर में 8 लाख लोग कोरोनावायरस से पीडित हैं और लगभग 34000से अधिक लोगों की कोविड-19 की वजह से मौत हो चुकी है। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि आप अपने घर को अगले 21 दिन तक लक्ष्मण रेखा समझिए, नहीं तो 21 दिन के बाद देश 21 साल पीछे जा सकता है। ऐसा ना हो इसे ही टालने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है।

इस लॉकडाउन को तोड़ने पर सेक्शन 269, सेक्शन 270 और सेक्शन 188 के तहत आपको सज़ा हो सकती है।

क्या है ? भारतीय दंड संहिता की धारा 269

इसके अनुसार, जो कोई व्यक्ति कानून के खिलाफ जाकर या नियमों की अवहेलना कर ऐसा कोई काम करेगा जिससे कि किसी संक्रमण या बीमारी से जनता के जीवन के लिए संकट खड़ा हो सकता है या किसी रोग का संक्रमण का फैलने की संभावना हो, उसे छह महीने तक की जेल हो सकती है, या जुर्माना देना पड़ सकता है, या दोनों से ही उसे दंडित किया जा सकता है। धारा 269 का उद्देश्य, लोगों के लिए खतरा बन सकने वाले किसी रोग के संक्रमण को फैलने की सम्भावना कम करना है।

कोरोनावायरस से बचाव के लिए दिया गया है 15,000 करोड़ का पैकेज

उदाहरण : एक मामले, कृष्णप्पा, 1883 ILR 7 Cal. 494 में, एक व्यक्ति ‘अ’, जबकि वह यह जानता था कि वह हैजा से पीड़ित है। उसने रेलवे के अफसरों को इस बारे में बताए बिना, ट्रेन से सफ़र किया और एक अन्य व्यक्ति ‘ब’ ने, ‘अ’ की स्थिति जानते हुए उसके साथ ट्रेन का टिकट खरीदा और उसके साथ सफ़र किया।

एक और मामला हुआ था अंबाला में, जहां, नीदर मल, 1902 PR No. 22 (Cr) 56 में अभियुक्त था। वह अम्बाला में एक ऐसे घर में रहता था जहाँ प्लेग फ़ैल गया था और वह प्लेग रोगी के संपर्क में आया था। उसे प्लेग रोगी के साथ प्लेग रोगियों के लिए बनाए गए अस्पताल में ले जाया गया जहाँ प्लेग रोगी की मौत हो गयी। उसके साथ रह रहे अभियुक्त को कहीं भी न जाने की सख्त हिदायत दी गयी थी, लेकिन इस हिदायत के बावजूद, अभियुक्त ट्रेन से एक दूसरे शहर चला गया। उसे दोषी माना गया था, क्योंकि कानून के पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण था कि उसके इस काम से दूसरों के लिए खतरा पैदा हुआ, और उसके इस एक्शन से एक ऐसा संक्रामक रोग फैलेगा जो जीवन के लिए खतरा बन सकता है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 270 में लॉकडाउन तोड़ने पर गंभीर सजा

लॉकडाउन तोड़ने पर धारा 270 में आपको हो सकती है दो साल तक की जेल।
लॉकडाउन तोड़ने पर धारा 270 में आपको हो सकती है दो साल तक की जेल।
धारा 270 धारा 269 के समान ही है लेकिन, धारा 270 को, धारा 269 से अधिक गंभीर माना गया है. धारा 270 में शब्द ‘परिद्वेषपूर्ण’ (Malignantly) का उपयोग किया गया है, जिसका सीधा अर्थ ‘मेंस रिया’ (दुराशय) से है। इसका सीधा मतलब है कि व्यक्ति ने जानबूझकर, बुरी भावना से संक्रामक रोग फैलाने का अपराध किया है।

धारा 270 कहती है कि अगर किसी द्वेषपूर्ण कार्य से जिससे किसी के जीवन के लिए संकट खड़ा हो और रोग के फैलने की संभावना बढ़ जाए हो और जिसे जानबूझ कर किया गया हो, साथ ही यह यह मानने का आधार हो कि उसने जानबूझकर किसी के जीवन के लिए रोग का संक्रमण फैला कर संकट खड़ा किया है, उसे दोषी माना जाएगा। उसे सश्रम या सामान्य कारावार में से किसी की भी सजा हो सकती है और यह जेल की सजा दो साल तक की हो सकती है, या दोषी पाए जाने पर जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

देश में पंजाब, महाराष्ट्र और हिमाचल जैसे राज्यों ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। कर्फ्यू तोड़ने पर या महामारी नियंत्रण कानून 1897 के सेक्शन 3 अनुसार सरकारी आज्ञा का पालन ना करने पर सेक्शन 188 के तहत कार्रवाई होती है।

सेक्शन 188 क्या कहता है ?

इंडियन पीनल कोड (भारतीय दंड संहिता) की धारा 188 तब लागू की जाती है जब जिले के लोक सेवक (पब्ल‍िक सर्वेंट) जो कि एक आईएएस अफसर होता है, उसके द्वारा लागू विधान का उल्लंघन किया जाता है, ये सरकारी आदेश के पालन में बाधा और अवज्ञा के तहत आता है। जब प्रशासन की ओर से लागू किसी ऐसे नियम जिसमें जनता का हित छुपा होता है, उसकी कोई इसकी अवमानना करता है तो प्रशासन उस पर धारा 188 के तहत कार्रवाई कर सकता है।
इस सेक्शन 188 को न मानने वालों पर एक माह के साधारण कारावास या जुर्माना या जुर्माने के साथ कारावास की सजा दोनों हो सकते हैं, ये जुर्माना 200 रुपये तक हो सकता है।

यही नहीं, अगर ये अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनती है या दंगे का कारण बनती है, तब ये सजा छह महीने के कारावास या 1000 रुपये जुर्माना हो सकती है। या दोनों चीजें एक साथ हो सकती हैं। इसमें ये जरूर देखा जाता है कि कहीं आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा तो नहीं था या नुकसान की संभावना के रूप में उसकी अवज्ञा पर विचार किया जाता है।

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