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Chhattisgarh

बिजली (पावर सप्लाय) बंद। मीटर चालु…!

बालोद। बिजली की महत्व आज के समय में दुनिया के हर शख्स बड़े अच्छे से जानता-पहचानता है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट, इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) ने पिछले साल में एक रिपोर्ट जारी किया था; जिसमे दुनिया भर में सबसे अधिक उत्पादन होने वाली बिजली का जिक्र किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2016 में 1,423 बिलियन युनिट उत्पादन के साथ भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा कंज्युमर बन गया है। वहीं पहला चीन और दुसरे नंबर पर अमेरिका रहे। भारत; साल 2017 और 2022 के बीच लगभग 100 गीगावाट तक बिजली क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जो एशिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करता है वह तो इसकी खूबियां और कमियो के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ है। भारत के छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और कुछ अन्य राज्य भी है जो प्रमुख कोयला उत्पादक राज्यो में से एक है। बिजली ज्यादातर कोयला से ही बनाई जा रही है और जंहा से कोयला निकला जा रहा है वह इलाके ज्यादातर आदिवासी समुदायों से भरे पड़े है जहां के आदिवासी समुदाय अक्सर जल-जंगल-जमीन की बात बरसों से करते आ रहे है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल बोर्ड अपने कंधे पर 24 विद्युत आपूर्ति के साथ विद्युत उपकरणो की देख-रेख, रखरखाव का जिम्मा संभालते हुए छत्तीसगढ़ राज्य को गौरान्वित कर रही है। लेकिन बालोद जिला के गुरूर विकासखंड के परसुली पंचायत में विभाग के सारे दावे खोखले नजर आते है। रख-रखाव का जिम्मा सम्हाले विद्युत मंडल बोर्ड परसुली के विद्युत ट्रांसफर्मर के लिए साथ ही पलारी डीसी के 26 गांव के 382 ट्रांसफर्मरो के लिए गिरीफ (फ्युज) का व्यवस्था तक मुहैय्या करा नही सकते है।

शिकायत कर हलाकान ग्रामीण अब खुद चंदा कर अपने पैसो से अपने घरो को रोशन और फसलो को बचा रहे है।प्रदेश सरकार के एक साल पूरा होने पर मुखिया जी ने अपनी सरकार की बढ़-चढ़कर तारीफ की। पिछले साल परसुली के ग्रामीणो ने अघोषित बिजली आपूर्ति की शिकायत को लेकर बालोद कलेक्टर से मिलने भी गए थे, लेकिन जिला प्रशासन के अश्वासन के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है।

किसान धान की फसल की कटाई करने के बाद गेंहु, चना, धान लगा रहे है। बिजली रोज कईयो घंटे बंद रहती है, प्रदेश के मुखिया जी हकिकत के धरातल से अनजान अपनी पीठ खुद थपथपा रहे है जबकि पलारी डी सी पिछले साल भर से मुखिया जी के कथित भाई गोपाल वर्मा जी जेई रहे है हाल ही में उनका तबादला हुआ है, उनके साल भर से पलारी डीसी के जेई रहने के दौरान परसुली के ग्रामीणो ने उनसे भी कई बार मिन्नते की किसान रोये गिड़गिड़ाये कि; साहब हमारे गांव का लाईन के लिए 14 पोल की स्वीकृति देने की बात हमसे की गई थी, ये 14 पोल अगर आज तक लग गये होते तो हमारे गांव में बिजली रोज घंटो बंद नही होती लेकिन साहब किसानो की बात इस कान से सुनते रहे दुसरे कान से वही बात को निकालते रहे। भारत सरकार से लेकर प्रदेश के मुखिया की किसानो के प्रति बड़ी बड़ी दलीलें है लेकिन हकीकत के धरातल कुछ और…। कारण तो और भी हैं जैसे- प्रदेश के गृहमंत्री जी का इस गांव से पुराना नाता रहा है और इसी गांव में कांग्रेस के दिग्गज नेता बिसौहा राम सिन्हा जी जीवन भर रहे, बिसौहा राम सिन्हा जी के परिवार के सदस्य उनके पत्नी कमला सिन्हा जो बालोद जिला पंचायत के पूर्व सदस्य भी रह चुकी है, और तो और सिन्हा जी के जयेष्ठ सुपुत्र; गुरूर ब्लाक युवा कांग्रेस का अध्यक्ष रह चुका है बावजूद इसके बाद भी बदहाली का आलम विस्मृत कर देने वाला है।

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