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थाने में ब्लैकमेलिंग का खेल: कार्रवाई के डर से व्यापारी से वसूले ₹22 हजार

बिलासपुर के सीपत थाना पुलिस पर गंभीर आरोप — एक व्यापारी से ऑनलाइन वसूली, तो NTPC कर्मचारी ने जहर खाकर दी जिंदगी खत्म करने की कोशिश; SSP ने जांच शुरू की

बिलासपुर जिले के सीपत थाना पुलिस पर एक के बाद एक दो गंभीर आरोप लगे हैं — एक व्यापारी से ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग और एक एनटीपीसी कर्मचारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का। दोनों मामलों ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि जब कानून लागू करने वाले ही डर का औजार बना लें, तो जनता कहाँ जाए।

कार्रवाई के डर से एनटीपीसी कर्मचारी ने खाया जहर

उज्जवल नगर एनटीपीसी कॉलोनी निवासी धीरेंद्र मंजारे (35), जो एनटीपीसी के एचआर विभाग में कार्यरत हैं, रविवार शाम शराब दुकान से लौट रहे थे। इसी दौरान सीपत थाने के पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोक लिया और स्कूटी जब्त कर ली।
पुलिस ने कथित रूप से उन पर नशे में वाहन चलाने का आरोप लगाया और 50,000 की मांग की। रुपए न देने पर कड़ी कार्रवाई की धमकी दी गई। इस मानसिक दबाव में धीरेंद्र ने रास्ते में ही जहरीला पदार्थ खा लिया।
परिवार ने तत्काल उन्हें एनटीपीसी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उन्हें अपोलो अस्पताल रेफर किया गया। उनकी हालत फिलहाल गंभीर बनी हुई है।

व्यापारी से ऑनलाइन वसूली — बैंक ट्रांजैक्शन सबूत के साथ शिकायत

इसी थाना क्षेत्र में दूसरा मामला स्थानीय व्यापारी अविनाश सिंह ठाकुर का है, जो नवाडीह चौक में किराना दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि 5 अक्टूबर को वे साथी रवि कश्यप के साथ किसी कार्य से सीपत थाना पहुंचे थे।
थाने में मौजूद थाना प्रभारी गोपाल सतपथी और एक आरक्षक ने उन्हें नशे में वाहन चलाने (धारा 185) के नाम पर कार्रवाई की धमकी दी और 50,000 की मांग की। व्यापारी ने बताया कि डर और दबाव के चलते उन्होंने 22,000 थाना परिसर में ही मौजूद प्राइवेट कंप्यूटर ऑपरेटर राजेश्वर कश्यप के बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिए।

इस ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की रसीद और स्क्रीनशॉट व्यापारी ने अपनी शिकायत के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) रजनेश सिंह को सौंपे हैं।

वसूली के बाद भी नहीं मिली राहत

अविनाश ठाकुर का कहना है कि रुपये देने के बाद भी राहत नहीं मिली। थाना प्रभारी ने उनके खिलाफ धारा 185 के तहत चालान कर दिया, जबकि साथी रवि कश्यप पर धारा 36(च) लगाई गई। रात लगभग 10 बजे, पुलिस ने उनकी बाइक को दोबारा जब्त कर लिया और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई बताई। व्यापारी का आरोप है कि यह सब थाना प्रभारी गोपाल सतपथी और एएसआई सहेत्तर कुर्रे की मिलीभगत से किया गया।

व्यापारी की गुहार और SSP का बयान

अविनाश सिंह ठाकुर ने अपनी शिकायत में कहा है — “पुलिसकर्मियों ने मुझ पर झूठे आरोप लगाकर धन उगाही की है। मैंने पूरा सबूत SSP को सौंप दिया है। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो मैं मामला मानवाधिकार आयोग तक ले जाऊंगा।”
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा —

“सीपत निवासी व्यापारी की शिकायत मिली है। आवेदन के साथ बैंक ट्रांजैक्शन के ठोस प्रमाण संलग्न हैं। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। दोषी पाए जाने पर संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तय है।”

दोनों मामलों के बाद सीपत थाना क्षेत्र में पुलिस की कार्यप्रणाली पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। लोग सोशल मीडिया पर भी सवाल उठा रहे हैं कि अगर थाने के भीतर ही इस तरह की ब्लैकमेलिंग संभव है, तो आम जनता किस पर भरोसा करे।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि जांच पूरी पारदर्शिता से की जाए और दोषियों को सार्वजनिक रूप से जवाबदेह ठहराया जाए।

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