नक्सली प्रपंच : 8 दिसंबर को “भारत बंद” ऐलान के साथ “राम मंदिर निर्माण के फैसले का विरोध”…!
माओवादी; साल के अंतिम महीने दिसंबर के पहले हफ्ते की 2 से 8 तारीख तक वे “पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी” (पीएलजीए) के गठन का वर्षगांठ रहे हैं। आपको बता दें कि इस बार उनके पीएलजीए सप्ताह मनाए जाने की यह 19वीं वर्षगांठ है।
इस अवसर पर 20 नवम्बर को केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने एक “प्रेस विज्ञप्ति” जारी कर क्षेत्र की निवासियों को आह्वान करते हुए लिखा है कि; पीएलजीए की 19वीं वर्षगांठ को 2 से 8 दिसंबर तक क्रन्तिकारी उत्साह व दृढ़ता के साथ मनाएं। पार्टी, पीएलजीए और संयुक्त मोर्चा को संगठित करने को बल देते हुए जनताना सरकारों को मजबूती प्रदान करने तथा पीएलजीए में बड़ी संख्या में युवक-युवतियों को भर्ती करने कहा गया है।
केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने साथ ही साथ यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या पर जो फैसला आया है वह 21वीं सदी का सबसे अजीब विडंबनाओं में से एक है ! आरएसएस, व्हीएचपी, भाजपा का यह मानना कि मंदिर ढहाकर बाबर ने मस्जिद खड़ी कर दी यह एक ऐतिहासिक झूठ है, और इस झूठ को धार्मिक उन्माद के चलते हिंदू ब्राह्मणवादी, फासीवादी गुटों ने आस्था का रूप दे; ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर इस झूठ की बुनियाद पर खड़ी की गई है। पिछले 40 साल से इसी झूठ के आधार पर समूचे मुस्लिम समुदाय को शिकार बनाया, शर्मिंदा किया और शैतानी रूप में चित्रित किया। उन्होंने आगे यह भी लिखा है कि यह मुसलमानों पर अन्याय ही नहीं बल्कि 130 करोड़ जनता के शास्त्रीय तार्किक सोच के विकास को रोकने वाली अन्यायकारी फैसला है यह घणा स्पद प्रतिक्रियावादी सोंच-समझ समाज को दूरगामी क्षति पहुंचाऐगी और कई साल पीछे धकेल देगी।
नोटशीट में उन्होंने “मीडिया” को भी नहीं छोड़ा, मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए लिखा है कि अख़बारों और प्रसार माध्यम सत्ताधारी वर्गों के विचाराधीन काम कर रही है पिछले सात सालों से सभी कॉर्पोरेट मीडिया पत्रकारिता छोड़कर “ब्रांड मोदी” व ब्राह्मणवाद बेंच रहे है और भाजपा के प्रचार-प्रभार सम्हाल रहे हैं।
केंद्रीय माओ प्रवक्ता के द्वारा जारी नोटशीट के अवलोकन करने से यह आभास होता है कि यह शायद उनकी एक बौखलाहट हो सकती है जिसके तहत वे अपनी भड़ास निकालना चाहते हैं। हालाँकि नोटशीट के अंत में यह भी लिखा है कि बाबरी मस्जिद सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट पर उनकी पार्टी का रुख तमाम संसदीय पार्टियों के रुख से पूरी तरह भिन्न है, और मीडिया से अपील किया है कि उनके द्वारा जारी नोटशीट को मीडिया में जरूर प्रकाशित व प्रसारित करे।