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Home>>Editorial>>हार्वर्ड बनाम हार्ड वर्क।
Editorial

हार्वर्ड बनाम हार्ड वर्क।

Dinesh Soni
November 9, 20181
आप 2011 के अन्ना आंदोलन से लेकर वर्तमान तक का सफर तय कीजिये। इस दरम्यान आपको भारत की राजनीति और मीडिया की मिलीभगत का सबसे घिनौना स्वरुप दिखेगा ! इतना घिनौना कि 10 साल से देश की सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल को 44 सीटों पर लाकर पटक दिया…!

CAG,CBI, ED, Indian Army के चीफ से लेकर बाबा रामदेव, अन्ना हजारे, केजरीवाल, किरण बेदी, उज्जवल निकम जैसे धुरंधरों ने देश में ऐसा माहौल बनाया जैसे कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार इस सदी की भ्रष्टतम सरकार है। घोटाले, मंत्रियों के इस्तीफे, गिरफ्तारियां, आंदोलन, धरना-प्रदर्शन,कश्मीर, सीमा पर गोलीबारी, महंगाई, बेरोजगारी,पेट्रोल-डीजल के बढे दाम- यही सब सुनने को मिलता था।
….और इन सारे मुद्दों का हल गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास था। चार दशकों से चली आ रही गठबंधन की राजनीति का अवसान होने वाला था 2014 में नरेंद्र मोदी देश के नेता चुन लिए गए।
चार साल से भी ज्यादा समय बीत गया है। 2014 के पहले जो मीडिया सत्ता के मुंह में माइक घुसेड़कर दनादन सवालों की बौछार किया करता था, वह मिडिया अब उन्ही सवालों से कतरा रहा है।
अन्ना हजारे से अब कोई नहीं पूछता कि “लोकपाल” कहाँ है ? बाबा रामदेव से भी कोई नहीं पूछता कि 2014 से पहले देश में मौजूद भ्रष्टाचारी देश के किस जेल में हैं ? उज्जवल निकम से कोई नहीं पूछता कि उन्होंने किस के कहने पर अजमल कसाब को जेल में बिरयानी परोसी जाने वाली अफवाह उड़ाई थी। आर्मी चीफ से कोई नहीं पूछ रहा है कि वह पैसे की कमी के चलते जवानों की संख्या क्यों कम कर रहे हैं ? CAG से कोई नहीं पूछ रहा है कि 2G स्पेक्ट्रम वाला 2,76000₹ के कथित घोटाले के आरोपी एक एक कर क्यों जेल से बाइज्जत बाहर आ गए ? कोयला घोटाले में किस आरोपी को सजा होने वाली है ? कोई नहीं पूछने वाला कि निर्भया के समर्थन में राष्ट्रपति को बंधक बनाने वाली जनता क्यों खामोश है ?
हर तीसरे दिन एलपीजी सिलिंडर लेकर चौराहे पर बैठने वाले नेता ये क्यों नहीं बता रहे हैं कि सिलिंडर 1000₹ के पार कैसे चला गया ? अपनी बाइक पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा देने वाला महानायक क्यों बिल में दुबककर बैठा है ? नोटबंदी के बावजूद भी हार्ड कैश क्यों चलन में है ? नरेंद्र मोदी का वो सब्जी वाला किधर गया जो छुट्टे से बचने के लिए स्वाइप मशीन रखता था ?
है किसी में हिम्मत जो हार्डवर्क वालों से ये पूछ दे कि हर देशवासी के खाते में 15 लाख अभी तक क्यों नहीं आये ? नमामि गंगे परियोजना में हजारों करोड़ फूंक देने के बावजूद भी एक सन्त अनशन करते करते क्यों मर गया ? हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार का वादा करके आखिरी साल में गोपालन और पकौड़ा बेचने की सलाह क्यों दी जा रही है ? 100 शहरों को स्मार्ट बनाने का दावा था, लेकिन देश की राजधानी की हवा कैसे सड़ गयी ? पडोसी मुल्कों की आंख में आंख मिलाकर बात करने की सलाह देने वाले 56 इंची कथित शेर के रहते हुए पठानकोट एयरबेस पर हमला कैसे हो गया ? एक राष्ट्र एक ध्वज नारा दिया था फिर कश्मीर में राज्यपाल शासन क्यों है ? अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए वह बात बात में रोने क्यों लगता है, किसी ने पुछा उससे ? कोई ये भी पूछने वाला नहीं है कि जब “हार्वर्ड” वालों ने 10 सालों में देश में कुछ किया ही नहीं तो अभी परसों तक उनके कामों का फीता “हार्डवर्क” वाले कैसे काट रहे हैं ?
2011 से लेकर 2014 तक जिस मीडिया ने जनता को नेताओं की आंख में आंख डालकर सवाल पूछना सिखाया, अब एक सलाह उस मीडिया को….
हिम्मत है तो इस सरकार को भी 2014 वाले मुद्दों की कसौटी पर कसो…..मंदिर हम बना लेंगे।

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1 Comments

  1. Viagra says:
    June 19, 2020 at 2:55 pm

    Thank you for this post. Its very inspiring.viagra

    Reply

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