रसूखदारों को तारीख पर तारीख नहीं, पेश होने से पहले ही रिहाई।
लीगल डिफेंस आम नहीं खास पर मेहरबान...
पत्रकार विनोद नेताम पर जानलेवा हमला करने वाले अमूमन जमानत के सभी आवेदक/आरोपी आदतन अपराधी किस्म के हैं जिन पर यदि एकाध को छोड़ भी दिया जाए तो चारों आरोपियों में से एक पूर्व विधायक एवं विधायक पति भैया राम सिन्हा के विरुद्ध थाना बालोद में (1) अपराध क्रमांक 316/14 धारा 294, 506बी, 353, 332/34 भा.द. वि., (2) अपराध कमांक 364/15 धारा 448 भा.द.वि., (3) अपराध कमांक 62/16 धारा 147/34 (4) अपराध कमांक 103/16 धारा 294, 186, 353, 332, 506(बी) का मामला कायम है।
वहीं ओंकार महामल्ला 376 का आरोपी है, तो साजन पटेल के विरूद्ध थाना बालोद में अपराध क्रमांक 498/2015 धारा, 341, 353, 419, 384, 332/34 भा.द.वि., एवं अपराध क्रमांक 397/2019 धारा 294, 506, 427, 34 भा.द.वि. एवं अपराध क्रमांक 316/2016 धारा 13 जुआ एक्ट दर्ज होने के बावजूद, तर्क ये है कि ये सभी राजनीतिक रसूखदार है और अपहरण और एससी-एसटी एक्ट का आरोपी उसे अग्रिम जमानत पर छोड़ा जाना न्याय की मिशाल है…
उपरोक्त तमाम दलीलों के बावजूद बचाव पक्ष की उपस्तिथि नगण्य मानी जाए, यह भी किसी कम चौकाने वाला विषय नहीं है। विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जरुरतमंद बंदियों के लिए लीगल डिफेन्स टीम सभी जिले में बनाई गई है जो निम्न तबके व निरुद्ध बंदियों को विधिक सेवाएं प्रदान करती हैं किन्तु जब विधिक सेवा की डिफेन्स टीम रसूखदारों के लिए अग्रिम जमानत पर पैरवी करे तो विधिक सेवाओं के विधिक दायित्वों पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। और यह भीं जाँच का विषय है कि लीगल डिफेन्स कौंसिल अपने -अपने क्षेत्रों में ऐसे कितनों रसूखदारों की नि:शुल्क – सशुल्क पैरवी कर रही है।
बात सीधी सी है साहब, कि एक आम गरीब आदमी ही पुलिस की नजर में अपराधी होता है न्यायिक व्यवस्था तो वैसे भी रसूखदारों को संरक्षण करने पहल करते हुए बलात्कारी को भी खुले में हवा लेने की इजाजत दे देती है, फिर वो राम रहीम हो या आशाराम या फिर महामल्ला हो …