Chhattisgarh
Dogs and Indians Not Allowed आधुनिक भारत में शर्मनाक भेदभाव!
ब्रिटिश भारत में ऐसे बोर्ड भारतीयों के आत्मसम्मान पर प्रहार थे। आजादी के दशकों बाद भी क्या वही मानसिकता लौट आई है?

#रायगढ़। ब्रिटिश भारत के दौर में कई जगहों पर बोर्ड लगे होते थे जिन पर लिखा होता था “Dogs and Indians Not Allowed” यानी “कुत्ते और भारतीयों का प्रवेश वर्जित है।” इसका मतलब था कि उन जगहों पर भारतीयों और कुत्तों को प्रवेश नहीं दिया जाता था। यह उस समय ब्रिटिश शासन में भारतीयों के संस्कृति, सभ्यता और वेषभूषा के साथ हो रहे गहरे भेदभाव और अपमान को दर्शाता था। रायगढ़ में भी कल गुरुवार ऐसा ही कुछ दृश्य देखने को मिला।

रायगढ़ के बरमकेला में रहने वाले 67 वर्षीय बुजुर्ग ग्रामीण विष्णु चरण साहू रायगढ़ कैदीमुड़ा जूटमिल में अपनी बेटी के घर आए थे। जहां उनके सम्मान में उनके नाती के द्वारा रायगढ़ के अटल चौक स्थित अमाया रिसॉर्ट में डीनर का आयोजन किया था। इसके लिए उन्होंने एडवांस बुकिंग भी की थी। शाम को जब सपरिवार जब रिजॉर्ट पहुंचे तब गार्ड द्वारा बुजुर्ग ग्रामीण विष्णु चरण साहू को गेट पर रोक दिया गया कारण था उनकी ग्रामीण वेशभूषा!
‘ग्रामीण लुक’ पर होटल स्टाफ की आपत्ति
जब परिवार द्वारा बताया गया कि उनकी बुकिंग है, तब उन्हें गार्ड ने अंदर जाने दिया। अंदर खाने का ऑर्डर के बाद होटल स्टाफ से गार्ड की शिकायत की गई और बताया कि उस दुर्व्यवहार के कारण वे लोग खराब और अनकंफरटेबल फील कर रहे थे। जिसके बाद होटल के बड़े अधिकारी आए और उन्होंने उल्टे बुजुर्ग ग्रामीण पर उनकी ग्रामीण वेशभूषा को लेकर आपत्ति जताई और इसे लेकर होटल स्टाफ और फैमिली के बीच बहस भी हुई और अंततः फैमिली को अपमानित होकर बुजुर्ग ग्रामीण की वेशभूषा के कारण बाहर जाना पड़ा।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
मामले की जानकारी जब लोगों को लगी तो होटल के सामने कुछ जागरूक युवाओं के द्वारा ग्रामीण वेशभूषा को लेकर किए गए अपमान का विरोध किया गया। जूट मिल पुलिस को बीच में आकर मध्यस्थता करनी पड़ी। सोशल मीडिया में इसके वीडियो वायरल होने लगे। मामले को तूल पकड़ता देखकर होटल मैनेजमेंट द्वारा माफी मांग ली गई। परिवार भी बिना डिनर किए वहां चला गया। अगले दिन यह मामला मीडिया में छाया रहा और हर किसी की जुबान पर था।
एक सवाल ?
इस बारे में बताया जाता है कि बुजुर्ग विष्णु चरण साहू पिछले 30-35 सालों से गमछा बनियान वाली इसी ग्रामीण वेशभूषा में रहते हैं। हर सुख दुख शादी ब्याह के में इसी ग्रामीण वेशभूषा में आते-जाते हैं। उन्हें क्या पता था की उम्र इस पड़ाव में अपने ही देश में उन्हें अपनी वेशभुषा के कारण सपरिवार अपमानित होना पड़ेगा। इस पूरे घटनाक्रम को देखकर कहा जा सकता है…
“आज गांधी जी होते तो रायगढ़ के अमाया रिजॉर्ट नहीं जा पाते…”




