- “लानत है उन पर जो हर साल बुराई का प्रतीक मानकर रावण जैसे प्रकांड ब्राह्मण का पुतला दहन करते है और अंत में जय श्री राम का जयकारा लगाते अपने घरों को लौटकर बड़े ही तुर्रमखाँ की औलाद बन ठाठ से अपने माथे में तिलक लगवा पूजा करवाते हैं। ढोल पीटने वालों, दशहरे पर जब हम बुराई के खात्में के प्रतीक रावण को जलाने की तैयारी में लगे थे, उसी दौरान दो दरिंदों ने पांच साल की एक मासूम आदिवासी बच्ची को हवस का शिकार बना डाला…”
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बस्तर जंक्शन
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