Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

ChhattisgarhConcern

रायपुर स्थित हिंदी ग्रंथ एकादमी के इस भवन में तिरंगा आखिर फहरे तो कैसे फहरे : कुणाल शुक्ला।

क्योंकि हिंदी ग्रंथ एकादमी की हत्या हो चुकी है।

यहाँ के सात कर्मचारियों को दिसंबर 2018 से तनख़ाह मिली नहीं है।
फरवरी 2019 से टेलीफ़ोन कट चुका है।
20 जून से बिजली इसलिए काट दी गयी क्योंकि बिल का भुगतान नहीं किया गया था।
कुणाल शुक्ला
(सोशल एंड आरटीआई एक्टविस्ट)
रायपुर। यह हाल हमारी राष्ट्रभाषा के नाम पर चलने वाले विभाग हिंदी ग्रंथ एकादमी का है।यहां गाय को ठिकाना दिए जाने की बात है लेकिन हिंदी को ठिकाने लगा दिया गया है।सूत्र बताते हैं गड़बड़ी पूर्ववर्ती सरकार की है,पर क्या इस गड़बड़ी को सुधारने वर्तमान सरकार के लिए आठ माह कम थे?
हिंदी ग्रंथ एकादमी के पदेन अध्यक्ष उच्च शिक्षा मंत्री होते हैं,वह भी इस बदहाली पर बेसुध हैं उन्होंने होश में आ कर कोई खबर लेना उचित नहीं समझा।
मुखिया के ओएसडी मरकाम और उनके अन्य लोगों को फोन उठाने की फुरसत नहीं शायद वह बीजीपी वालों को दिए सरकारी बंगलों के रंगरोगन, साज सज्जा,चमक दमक की देखभाल में व्यस्त होंगे।
हिंदी ग्रंथ एकादमी मरती है तो मर जाये इसका कोई वोट बैंक जो नहीं।रविश कुमार जैसे हिंदी के पत्रकार मैग्सेसे ले लेंगे पर इसमें रुचि इसलिए नहीं दिखाएंगे क्योंकि हिंदी की कोई जात नहीं होती।

कुणाल शुक्ला
(सोशल एंड आरटीआई एक्टविस्ट)
रायपुर (छग)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page