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एक और कर्ण की महाभारत, जमीन के मुआवजा हेतु 10 वर्ष से संघर्षरत किसान।
गरियाबंद। प्रमुखत: महाभारत का विषय असत्य पर सत्य के विजय की संघर्षपूर्ण दास्तॉ है। महाभारत के अनेकों पात्रों में अत्यंत संघर्षशील दानवीर कर्ण एक ऐसा पात्र है जिसने असत्य का साथ देते हुए भी लोगों के बीच स्वयं को नायक की तरह स्थापित किया।
यहाँ हम जिस कर्ण की बात कर रहे हैं दरअसल वो एक किसान है, जिले के ब्लाक फिंगेश्वर तहसील राजिम ग्राम पंचायत गुन्डरदेही के गांव रजकट्टी का निवासी है। अपनी जमीन के मुआवजे के लिए संघर्षरत कर्ण कुमार साहू की ये दूसरी पीढी है।
वैसे तो सभी राजनैतिक दल चुनावों के वक्त पूरी तरह किसान हितैषी होने का दावा करते है, किसानों के हित में बडे बडे वादे कर सत्ताशीन भी हो जाते हैं किन्तु किसानों की परेशानी खत्म होने का नाम नही लेती। सत्ताशीन हुये नेताओ की पौ बारह हो जाती है लेकिन किसान प्रशासनिक अधिकारीयों के चक्कर में ऐसा पीसता है की एक-एक किसान के जीवन पर संघर्षपुर्ण महाभारत लिखी जा सकती है।
यहां हम स्पष्ट कर दें कि ऐसा नही की पिछले 10 वर्षों में किसी नेता ने कर्ण कुमार का बिलकुल भी साथ नही दिया, मुआवजे के लिए दर दर की ठोकर खाते कर्ण के पिता तुकाराम साहू के लिए 2010 में तत्कालीन कृषि मंत्री चंन्द्रशेखर साहू ने कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा अभनपुर को पत्र लिखा, 2017 में जामगॉव के वरिष्ठ भाजपा नेता मिंजुन साहू की पहल पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमनसिंह ने भी पत्र पर ‘मुआवजा हेतु स्वीकृत, टीप अंकित कर कलेक्टर की ओर प्रेषित किया था, किन्तु नतीजा ” ढांक के तीन पात” जैसा ही रहा।
दरअसल पूरी जानकारी के अनुसार रजकट्टी निवासी तुकाराम साहू की कृषि भूमि खसरा नंबर 194 और 195/2 रकबा 0.01 हे. व 0.12 हे. पर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा महादेव घाट जाने के लिए सडक का निर्माण कर दिया, इसके लिए ना किसान की सहमति ली गई और ना उसे मुआवजा देने की पहल की गई। तुकाराम ने तत्कालीन अधिकारीयों के समक्ष अपना लिखित विरोध कई बार प्रस्तुत किया, पर इस सबका कोई असर नही हुआ। लिहाजा तुकाराम का पुत्र कर्णकुमार आज 10 वर्षों तक अपनी जमीन के लिए संघर्षरत है। इस बीच दो-तीन बार राजस्व विभाग द्वारा जमीन का स्थल पंचनामा व सीमांकन किया जा चुका है, प्रतिवेदन में स्पष्ट है की कर्ण कुमार की कुल 0.13 हेक्टेयर भूमि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा निर्मित सडक में शामिल हो गई है।
इधर 2018 में राजस्व विभाग द्वारा कर्ण कुमार पिता तुकाराम के आवेदन पर भूमि के बदले भूमि खसरा नंबर 388 का टुकडा दिये जाने हेतु इश्तिहार जारी किया गया था, किन्तु हल्का पटवारी की रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम रजकट्टी में ख.न. 388 मिसल अभिलेख में छोटे झाड के जंगल मद में उल्लेखित है, जिससे उपरोक्त भूमि को तबादला में दिया जाना संभव नहीं है।
कर्ण कुमार आज भी न्याय की उम्मीद में भटक रहा है, अनेकों जनसमस्या निवारण शिविर, कई बार जनदर्शन के बाद मंगलवार जिला कार्यालय में जन चौपाल की लाईन में आवेदन लिए खडा था।
आधिकारिक व्यक्तव्य
आरईएस में मुआवजे का प्रावधान नही है, हम केवल निर्माण ऐजेंसी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से सबद्ध हमारा और ग्राम पंचायतों का कार्य एक जैसा ही है, एक निश्चित सीमा रेखा से ऊपर काम जो ग्राम पंचायतों के द्वारा नही किया जा सकता, उसे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा किया जाता है टेन्डर के माध्यम से।
आर सी नेताम
कार्यापालन अभियंता
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा गरियाबंद।