गरियाबंद इंजेक्शन कांड : गार्ड बनी डॉक्टर, अफसर तमाशबीन ! मामला पहुँचा हाईकोर्ट…
ठेका खत्म, अफसरों पर गाज और अदालत की चौखट पर खड़ी सरकार - अस्पताल से लेकर कैबिनेट तक कटघरे में व्यवस्था।

गरियाबंद hct : जिला अस्पताल में 19 अगस्त को महिला सुरक्षा गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाने की घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी। 20 अगस्त को जब यह खबर अखबारों में आई तो पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुँचा और कलेक्टर ने शपथ पत्र दाखिल कर स्वीकारा कि यह इंजेक्शन बिना चिकित्सकीय आदेश और योग्यता के लगाया गया।
अफसरों को नोटिस, एजेंसी पर लगा ताला
कलेक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक घटना सामने आते ही सीएमएचओ और सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जांच में खुलासा हुआ कि फ्लाइंग ग्रुप सिक्योरिटी सर्विसेज की महिला गार्ड सरिता सिंह राजपूत ने “सद्भावना” के नाम पर मरीज को इंजेक्शन लगाया। प्रशासन ने इस एजेंसी का ठेका तत्काल समाप्त कर दिया और गार्ड की सेवा 21 अगस्त से खत्म कर दी गई।

सरकार ने बदली सुरक्षा, अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश
अधिकारियों के जवाब असंतोषजनक पाए गए। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग को अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भी बदल दी गई है और निजी गार्ड हटाकर अब होमगार्ड तैनात किए गए हैं। यानी, गड़बड़ी का ठीकरा एजेंसी पर फोड़कर अफसर फिलहाल बचने की जुगत में हैं।
14वां मंत्री और संवैधानिक सवाल
इधर, प्रदेश की भाजपा सरकार ने हाल ही में तीन नए मंत्री बनाए, जिससे कैबिनेट का आकार 11 से बढ़कर 14 हो गया। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है। इसमें मुख्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग और सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है।
कैबिनेट सीमा और अदालत की चौखट
याचिका में कहा गया है कि विधानसभा में मंत्रियों की संख्या कुल सीटों के 15% से अधिक नहीं हो सकती। ऐसे में मंत्रिमंडल का यह विस्तार संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है। अब इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। यानी, अस्पताल से लेकर सत्ता के गलियारे तक—सब जगह अदालत ही जनता की आखिरी उम्मीद बन चुकी है।

