Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ – ओडिसा सीमांत देवभोग-मैनपुर ब्लाक में धान की तस्करी

ग्रामीणों का आरोप - धान की अफरा तफ़री में अधिकारियों की संलिप्तता, करते है व्यापारियों का सहयोग...!

रायपुर hct : जिला के प्रथम विकासखंड और ओडिसा सीमा से लगे देवभोग – मैनपुर क्षेत्र के कई किसान जिनका निवास ओडिसा में तो है, किन्तु खेती-किसानी छत्तीसगढ़ में; अपना धान बेचने के लिए बहुत पीड़ित और परेशान हैं। परेशानी का सबब यह कि दोनों प्रदेश सरकार किसानों से 3100 रु प्रति एकड़ समर्थन मूल्य पर किसानों का धान सहकारी समितियों के माध्यम से खरीदती तो है, लेकिन जहाँ ओडिसा सरकार प्रति एकड़ मात्र 15 क्विंटल के मान से खरीदती है, वहीँ छत्तीसगढ़ सरकार 21 क्विंटल के मान से किसानों का धान खरीद रही है।

रंक से राजा बन बैठे धान तस्कर

इन दोनों सरकारों के बीच धान तस्करी का मुख्य कारण जानने के प्रयास में यह बात खुलकर सामने आई कि ओडिसा में धान का उत्पादन अधिक है मगर लेवाली कम, मगर छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन कम है और लेवाली अधिक जिसके चलते दोनों प्रदेशों में दलाल और मौकापरस्तों की चांदी है जो एक सीजन में रंक से राजा बन बैठे हैं और जिनकी प्रशासनिक अमले में घुसपैठ हो चुकी है।

धान की अफरा- तफ़री का खेला

जहाँ धान का उत्पादन कम है वहां समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ खरीदी का मान अधिक और जहाँ उपज अधिक, वहाँ की सरकार कम मात्रा में धान खरीद रही है। जिसकी चलते ओडिसा की अधिक उपज को छत्तीसगढ़ में खपाने के अनेक उपाय किये जाते हैं, इन्ही उपायों को धान की तस्करी या हेराफेरी भी कह दिया जाता है। अफरा-तफ़री की इस बहती गंगा में, इलाके के कुछ तथाकथित पत्रकारों की मिलीभगत, कुछ दलाल और कुछ टुच्चे नेताओं की संलिप्तता के अलावा, कुछ रसूखदारों और कुछ धनलोलुप प्रशासनिक अमला भी अपनी हाथ धो लेते हैं, ऐसी बातें भी उजागर हुई है।

हाथी के दांत साबित हो रहें चेकपोस्ट

मैनपुर ब्लाक के सीमांत ग्राम बंधियामाल का नजारा…

हालाँकि जिला प्रशासन की ओर से धान की तस्करी को रोकने के जो उपाय किये गये हैं एक बानगी देखने से “हाथी के दांत” वाली कहावत का अहसास होता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह कि मैनपुर ब्लाक के सीमांत ग्राम बंधियामाल के उक्त बेरियर या चेकपोस्ट को देखकर लगाया जा सकता है, जहाँ कर्मचारी की तनख्वाह के नाम पर सरकारी धन भी लुटाया जाता है। इस चेकपोस्ट पर मैदानी अमले की तैनाती के साथ सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये है मगर विद्युत विभाग के मेहरबानी के चलते फुटेज मिलना रेत में सुई खोजने से भी ज्यादा दुष्कर कार्य है।

सीमांत किसान धान बेचने के लिए परेशान

दो पाटों के बीच हलाकान किसान…

इधर सीमावर्ती प्रदेश से सटे क्षेत्र में कई ऐसे किसान है जिनका रहना तो ओडिसा में है; लेकिन उनकी खेती का हिस्सा छत्तीसगढ़ में आता है, जिसके चलते उन्होंने प्रदेश के सहकारी बैंकों से कर्ज भी लिया है। इन्हीं में से कुछ किसानों का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में धान बेचने के दौरान उन्हें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जबकि उनके पास जमीन का पट्टा, धान बेचने के टोकन भी है। इन किसानों का आरोप है व्यापारियों के धान की तस्करी में अधिकारी सहयोग करते हैं जबकि किसानों का धान जप्त कर लिया जाता है।

इधर सरकारी और उधर किसानों का बेरियर

बिगड़े सीसीटीवी के सहारे मगररोडा से निगरानी

छत्तीसगढ़-ओडिसा के सीमा क्षेत्र मगररोडा गांव में जहाँ सरकारी बेरियर में धान तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से नगर सैनिको सहित कोटवारों की कुल जमा आठ की संख्या बल में तैनाती के साथ सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। सीमांत ग्राम टेलाटांडी (ओडिसा) के किसानों ने इस बाबत बेरियर लगा रखा है क्योंकि इन किसानों का आरोप है कि जहाँ छत्तीसगढ़ की सीमा पर लगे सीसीटीवी कई दिनों से बंद होने से वहीँ बेरियर में तैनात नगर सैनिक और कोटवार व्यापारियों और बिचौलियों का धान आसानी से पार करवा देते है। सीसीटीवी टीवी कैमरे की खराबी इसी तस्करी का हिस्सा है। बताते हैं कि जानबूझकर कैमरा खराब किया गया है। जिसके तहत कुछ पीड़ित सीमांत किसानों ने धान बेचने में आ रही परेशानी को लेकर ओडिसा के छत्तीसगढ़ सीमांत ग्राम टेलाटांडी में बेरियर लगा दिया है।

whatsapp

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page