वामन राव लाखे वार्ड क्रमांक 66 में निर्दलीय प्रत्याशियों का दबदबा।
पग पग की चुनौती को पीछे छोड़ते, मैदान-ए-जंग से कौन बनेगा विजेता...?

रायपुर hct : छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय यानी नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत का चुनाव अपने अंजाम की ओर है समूचे प्रदेश में दोनों राष्ट्रीय दलों के अलावा निर्दलीय भी अपनी किस्मत आजमाने चुनावी समर में कूद पड़े हैं। अगर हम बात करें रायपुर शहर की तो 70 वार्डों में वार्ड नंबर 66 में जहाँ भाजपा के वरिष्ठ नेता की श्रेणी में अपनी कदमताल करते हुए रमेश ठाकुर ने भले ही दीगर वार्डों में दमदार प्रत्याशी को टिकट दिया हो मगर जिस वार्ड का वे खुद नेतृत्व कर चुके हैं और जहाँ के मतदाताओं की नब्ज से भलीभांति परिचित हैं वहां उन्होंने एक ऐसे कमजोर प्रत्याशी को टिकट देकर भाजपा की एक मजबूत टहनी पर कुल्हाड़ी चला दिया है।
सत्तारूढ़ पार्टी के दावेदार का दांव फिस्स
भले ही श्याम सुन्दर उनके करीबी हों, लेकिन जिस मोहल्ले में भाजपा का यह प्रत्याशी निवास करता है उसका पडोसी भी उसे वोट देने से गुरेज करता दिख रहा है। लोगों का तो यहाँ तक कहना है कि जिस मुरीद को बात करने का सलीका भी नहीं ऐसे व्यक्ति को जीत का सेहरा पहनाकर उसके दरबार में अपनी फरियाद के लिए दस बार नाक रगड़ने से कहीं अच्छा है कि किसी निर्दलीय को जीत दिलाया जाए।
सर्वजीत को पछाड़कर बाजी मारते दिख रहे बब्बी
कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस के प्रत्याशी सर्वजीत सिंह ठाकुर उर्फ़ सोम का भी है हालांकि प्रचार की दृष्टि से सर्वजीत; श्याम सुन्दर से कहीं अधिक दमदार नजर आ रहा है मगर कांग्रेस ने अपने ही युवा नेता कृष्णा को टिकट न देकर इस वार्ड से अपना खाता क्लोज कर लिया है। चूँकि देखा जाए तो कृष्णा, पार्षद पद के सशक्त दावेदार हैं, लेकिन कांग्रेस ने उसे टिकट न देकर अपना ही नुकसान उठाया है।
फिर भी वार्ड के मतदाताओं का रुझान, चुनाव से पहले कृष्णा के पक्ष में था जिसके चलते कृष्णा कांग्रेस से बागवत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। मगर, कृष्णा को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि जब 2020 के नगरीय निकाय में वह कांग्रेस की सीट से चुनाव लड़ रहे थे तब यही मन्नू उसे और भाजपा सहित दीगर प्रत्याशियों को 3800 वोटों के वृहद अंतर से हराकर निर्दलीय पार्षद चुने गए थे।
पग पग की चुनौती को पीछे छोड़ते, मैदान-ए-जंग की विजेता
फ़िलहाल वामन राव वार्ड क्रमांक 66 से पूर्व पार्षद “विजेता” (मन्नू) यादव भी अपनी दावेदारी ठोंकते हुए कृष्णा के जीत की राह को एक हद तक कठिन कर दिया है। बता दें कि विजेता के पति मन्नू यादव वार्ड के एक ऐसे लोकप्रिय पार्षद रह चुके है जिन्होंने अपनी धर्मपत्नी विजेता के साथ एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन- कार्यकाल एक सफल पार्षद के तौर बिता चुके हैं कि अनायास यह जनप्रिय पार्षद वार्डवासियों से हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गए। भले ही आज मन्नू वार्डवासियों के बीच नहीं हैं; मगर वामन राव लाखे वार्ड के लिए मन्नू यादव ने जो कार्य किया है वह शायद कोई और पार्षद होता तो नहीं करता।
मन्नू के कार्यों को लेकर मैदान विजेता
अब मन्नू यादव के यादों और उनके कार्यों को लेकर उनकी धर्मपत्नी “विजेता” यादव पुनः नगरीय निकाय चुनाव में वामन राव लाखे वार्ड 66 से बतौर निर्दलीय, जनसम्पर्क का सशक्त माध्यम “टेलीफोन छाप” से चुनाव लड़ रही है और अब 2025 के नगरीय निकाय में फिर एक बार भाजपा के प्रत्याशी श्याम सुन्दर और कांग्रेस प्रत्याशी सर्वजीत से कई गुणा अधिक मजबूत और पार्षद पद के लिए प्रबल दावेदारी दिखाते हुए पूरे दमखम के साथ अपने निकटम प्रत्याशी से पग पग की चुनौती को पीछे छोड़ते हुए मैदान में डटी हुई अपनी जीत के प्रति पूर्ण आश्वस्त नजर आ रही है।
कुछ ऐसा हो सकता है समीकरण
वैसे भी देखा जाए तो वामन राव लाखे वार्ड में इस बार ना भाजपा का परचम लहराने वाला और ना ही कांग्रेस का, बल्कि चुनाव का नतीजा दोनों निर्दलीय प्रत्याशी विजेता मन्नू यादव और कृष्णा के बीच है। बस मतदान का नियत समय में महज कुछ घंटों का फासला है; और मतदाताओं का रुझान कभी इस पलड़ा भारी जाता है तो कभी उस पलड़ा। पार्षद तो इन्हीं दोनों में से किसी एक को बनना है, अगर कृष्णा जीत भी जाता है, तो उसकी इस जीत में “विजेता” ही विजेता होगी और अगर कृष्णा हार जाता है तो विजेता तो “विजेता” ही होगी।