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जालसाज, लिंक और फाइल… इनसे बचना भी है आसान, यह टूल्स बनेंगे आपके मददगार

पहले ओटीपी, बैंक खाते की जानकारी लेकर ठग ठगी करते थे, लेकिन अब लोग जागरूक हुए हैं तो ठगी का जरिया लिंक और फाइल ही हैं। कुछ टूल्स ऐसे हैं, जो खतरनाक लिंक, फाइल, यूआरएल को डिटेक्ट कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति खुद ही ऐसी लिंक, फाइल का पता लगा सकता है। चंद सेकंड में इसका पता लगाया जा सकता है।

HIGHLIGHTS

  1. इस समय लिंक और एपीके फाइल के जरिये सबसे ज्यादा वारदात हो रही हैं
  2. कोई भी व्यक्ति खुद ही ऐसी लिंक, फाइल का पता लगा सकता है
  3. कुछ टूल्स ऐसे हैं, जो खतरनाक लिंक, फाइल, यूआरएल को डिटेक्ट कर सकते हैं

 ग्वालियर। साइबर ठगी में इस समय लिंक और एपीके फाइल के जरिये सबसे ज्यादा वारदात हो रही हैं। पहले ओटीपी, बैंक खाते की जानकारी लेकर ठग ठगी करते थे, लेकिन अब लोग जागरूक हुए हैं तो ठगी का जरिया लिंक और फाइल ही हैं। आपके मोबाइल पर भी दिनभर एसएमएस, वाट्स एप, इंस्टाग्राम, फेसबुक मैसेंजर के जरिए तमाम अंजान लिंक, एपीके फाइल आती होंगी। इनके जरिए लोगों को ठगना बहुत आसान होता है। इसलिए इनसे बचना भी मुश्किल नहीं है।

कुछ टूल्स ऐसे हैं, जो खतरनाक लिंक, फाइल, यूआरएल को डिटेक्ट कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति खुद ही ऐसी लिंक, फाइल का पता लगा सकता है। चंद सेकंड में इसका पता लगाया जा सकता है। ऐसे कौन-से टूल्स हैं, किस तरह इनका उपयोग आम लोग कर सकते हैं और कैसे खतरनाक लिंक, फाइल का पता लगाया जा सकता है। जानने के लिए पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पहले समझिए… इनके जरिए ठगी कैसे होती है

– एसएमएस या मैसेंजर के जरिए लिंक, एपीके फाइल भेजी जाती हैं। यह लिंक, फाइल वायरस होती हैं। इनके जरिए मोबाइल या अन्य डिवाइस हैक कर ली जाती है। इस पर ठगों का कब्जा हो जाता है। इसके बाद शुरू होता है ठगी का खेल। सिम तक यह लोग इन लिंक, फाइल के जरिए हैक कर लेते हैं।

इन्हें पकड़ना बहुत आसान

  • जब भी इस तरह की लिंक, फाइल आपके मोबाइल पर आए। उस पर सर्फिंग करने से पहले कापी कर लें। यूआरएल कापी कर लें, फाइल कापी की जा सकती है। इसके बाद गूगल पर वायरस टोटल सर्च करें। यह साइट खुल जाएगी। इसमें तीन श्रेणी हैं। यूआरएल, फाइल और लिंक की। इस पर उसे पेस्ट कर लिया जाए। इसके बाद एंटर करेंगे तो पूरी जानकारी सामने आ जाएगी। फाइल, लिंक सही होगी तो क्लीन लिखा होगा, अगर गड़बड़ होगी यानि वायरस होगा तो क्लीन नहीं लिखा होगा। इसमें थ्रेट आडिट भी रहता है। यानि यह कितनी खतरनाक हो सकती है।
  • बाजार में कई अलग-अलग कंपनियों के साफ्टवेयर, एप उपलब्ध हैं। बशर्ते अधिकृत डीलर से ही खरीदे जाएं। जो इस तरह की लिंक, फाइल को पकड़ने में सक्षम हैं।

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