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उम्रकैद मिलने के बाद भी हत्यारों के चेहरे पर खुशी अधिवक्ताओं ने की मृत्यु दंड दिए जाने की मांग

मेरठ हत्याकांड में लंच से पहले वादी के अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्यागी और सरकारी वकील सर्वेश शर्मा ने न्यायालय के सामने हत्याकांड की वीभत्सा बताई। बताया कि किस क्रूरता से तीनों को मारा गया। पाइपों से पीटा गया। गोलियां मारी गईं। छुरे से गले काटे गए। उस समय कार की डिग्गी से बरामद हुए शवों के फोटो दिखाए गए। तीनों युवकों के शवों के फोटो पेश किए गए।

अधिवक्ता प्रमोद त्यागी और शासकीय अधिवक्ता सर्वेश शर्मा ने कहा कि यह हत्याकांड जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में दोषियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई जाए। अधिवक्ता स्पर्श रस्तोगी ने कहा कि एक गवाह ने बयान में बताया कि आरोपी तीनों युवकों की पिटाई करते हुए कह रहे थे कि इन सभी को हलाल कर दो। जानवरों की तरह तीनों को मारा गया।

वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि मुलजिमों का पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। शवों के टुकड़े नहीं किए गए, यह सिर्फ एक मीडिया ट्रायल है। ऐसे में यह दुर्लभ श्रेणी में नहीं आता है। शीबा सिरोही के अधिवक्ता ने पक्ष रखा कि शीबा हत्या के समय मौके पर भी नहीं थी। आधे घंटे तक दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जज डायस से उठ गए।

लंच बाद अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटी करप्शन-दो पवन कुमार शुक्ला की अदालत ने उम्रकैद का फैसला सुनाया। तिहरे हत्याकांड में फैसला आने से पहले सुबह 11 बजे से ही कचहरी में लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। पीड़ित परिजन, गवाह और मुकदमे से जुड़े लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

खचाखच भरी कोर्ट में सुनाया फैसला
तिहरे हत्याकांड के फैसले को लेकर पूरी कचहरी में चर्चा थी। लंच के बाद शाम चार बजे से पहले ही पूरा कोर्टरूम अधिवक्ताओं से भर गया। खचाखच भरे कोर्टरूम में न्यायाधीश ने सजा सुनाई।

न्यायालय के निर्णय का सम्मान है। सरकार इस निर्णय के खिलाफ सजा बढ़वाने के लिए रिवीजन में जाएगी। निर्णय की प्रति का अध्ययन करने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा। -सर्वेश शर्मा, शासकीय अधिवक्ता

16 साल देरी से ही सही लेकिन इंसाफ मिला है। न्यायालय के निर्णय का सम्मान है। निर्णय से संतुष्ट हैं।– प्रमोद कुमार त्यागी, वादी पक्ष के अधिवक्ता

तिहरे हत्याकांड में इजलाल और शीबा समेत 10 आरोपियों को उम्रकैद
16 साल पहले कोतवाली के गुदड़ी बाजार तिहरे हत्याकांड में अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटी करप्शन-2 पवन कुमार शुक्ला की कोर्ट ने सोमवार को इजलाल कुरैशी और शीबा सिरोही समेत 10 आरोपियों को उम्रकैद सुनाते हुए 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने एक अगस्त को सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था।

फैसले के दौरान कचहरी में बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात रही। सभी 10 आरोपियों को जेल भेज दिया गया। तिहरे हत्याकांड में 24 जुलाई को फैसला सुनाया जाना था। इससे पहले अदालत में अभियुक्त अब्दुल रहमान उर्फ कलुआ के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र दिया था कि इस मामले में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में ट्रांसफर प्रार्थना पत्र 128 सन 2024 विचाराधीन है।

मुकदमे की सुनवाई के लिए किसी अन्य जिले में कराने की मांग की गई। सुनवाई करते हुए तथा उच्च न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन ट्रांसफर प्रार्थना पत्र में नियत तिथि 30 जुलाई 2024 की होने की चलते न्यायालय ने निर्णय के लिए 31 जुलाई की तिथि नियत की थी। 31 जुलाई को कोर्ट ने फैसला फिर एक दिन के लिए टाल दिया था।

एक अगस्त को कोर्ट ने इजलाल कुरैशी पुत्र इकबाल, अफजाल पुत्र इकबाल, महराज पुत्र मेहताब, कल्लू उर्फ कलुआ पुत्र हाजी अमानत, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा पुत्र विजय, वसीम पुत्र नसरुद्दीन, रिजवान पुत्र उस्मान, बदरुद्दीन पुत्र इलाहीबख्श पर हत्या समेत तमाम धाराओं और शीबा सिरोही पर हत्या के लिए उकसाने के आरोपों को सही मानते हुए दोषी करार दिया था। हत्याकांड के दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो चुकी है। एक आरोपी शम्मी जेल में है, उसका ट्रायल चल रहा है। परवेज को नाबालिग बताए जाने के चलते हाईकोर्ट में अपील पेंडिंग है।

कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा बनी थी हत्याकांड की वजह
इजलाल और सेना के कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा सिरोही की दोस्ती थी। सुनील ढाका, सुधीर उज्ज्वल और पुनीत गिरि इसका विरोध करते थे। बाद में इजलाल ने तीनों युवकों से समझौता कर लिया था। शीबा को इजलाल का तीनों से मिलना पसंद नहीं था। उसने इजलाल को तीनों की हत्या के लिए उकसाया। 22 मई 2008 की रात इजलाल ने तीनों को बात करने के बहाने बुलाया और मार डाला।

मुस्कुराते हुए निकले हत्यारे
फैसला सुनाए जाने के बाद जब हत्यारों को जेल लेकर जा रही थी तो उनके चेहरों पर कोई अफसोस नहीं दिख रहा था। कई हत्यारों के चेहरे पर खुशी थी। वे मुस्कुरा रहे थे। हाथ उठाकर अपने परिचितों से खुशी जाहिर कर रहे थे। शीबा सिरोही फैसले के बाद रोती रही।

यह था मामला
23 मई 2008 की दोपहर बागपत और मेरठ जिले की सीमा पर बालैनी नदी के किनारे तीन युवकों के शव पड़े मिले। इनकी पहचान मेरठ निवासी 27 वर्षीय सुनील ढाका निवासी निवासी ढिकौली बागपत, 22 वर्षीय पुनीत गिरि निवासी खटकी परीक्षितगढ़ और 23 वर्षीय सुधीर उज्ज्वल पुत्र सुरेश कुमार निवासी सिरसलगढ़ बिनौली बागपत के रूप में हुई। जांच में सामने आया कि 22 मई की रात तीनों की हत्या कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर की। इजलाल की दोस्त शीबा सिरोही को हत्या के लिए उकसाने का आरोपी बनाया गया था।

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