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इसलिए भारत को “भारतमाता” कहते हैं।

भा=भास्कर(सूर्य) +रत+वर्ष= #भारतवर्ष

सूर्य में पृथ्वी का रत होना यानि सूर्य का चक्कर 365 दिन 6 घंटे में जो पूरा वर्ष होता है, पूरा वर्ष 4–4 महीने की तीन फसली= 12 महीना यानि खरीब, रबी और जायद फसलें।

भारतवर्ष पूरा देश कृषि किसानी और खेत खलिहान की मूल संस्कृति को स्पष्ट करता है। कृषि किसानी संस्कृति का सीधा संबंध ज़मीन( धरती), पृथ्वी और पूरा पारिस्थितिकी तन्त्र से जुड़ा होता है। और हमारी तीन माँ होती है एक जन्म देने वाली, एक मातृभाषा और एक अन्न देने वाली जन्मभूमि जिसमें हम खेलते कूदते और बड़े होते हैं, जीवन की तहज़ीब सीखते हैं, इसलिए भारत को भारतमाता कहते हैं।

पोंगाओं ने हर चीज़ में व्यक्तिवाद घुसेड़कर पूरा दर्शन गोबर कर दिया। जो लोग कभी हल नही चलाये बस मुँह बाँचते रहे वे देश के दर्शनशास्त्री और मूलसंस्कृति के लंबरदार कैसे हो गए ?

दुनिया का कोई भी देश व्यक्ति विशेष के नाम पर नही पड़ा। इस महाभूखण्ड का प्राचीन नाम जम्बुद्वीप, सिरडीसिंगार और गोंडवाना महाभूखण्ड रहा है। और ऐसे भी राजा भरत ने कौनसा कल्याणकारी कार्य किया और तीर मारा जिनके नाम पर इस देश का नाम रख दिया गया। उनका तो शास्त्र उल्लेख के अलावा कोई पुरातात्विक महत्व का साक्ष्य भी नही मिलता, सम्राट अशोक जैसे राजाओं का उससे ज्यादा साक्ष्य उपलब्ध है।

पोंगाओं और संघियों की माने तो देश का नाम तो राम होना चाहिए था क्योंकि भरत से ज्यादा राम को फेमस किया गया, अफ़सोस उनका भी कोई ऐतिहासिक और पुरातात्विक साक्ष्य नही। न ही उनका कोई प्राचीन अवशेष मिला है, बस कूदे पड़े हैं।

संतोष कुमार कुंजाम, कोयहुंकार

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