ChhattisgarhCorruption
बालोद : पलारी उपस्वास्थ्य केंद्र में कचरा स्वरूप मिला शासन प्रदत्त दवाइयों का जखीरा !
हमारे देश में बीमारियों की भरमार हैं सरकारी हो या प्राइवेट अस्पताल सब रोगियों से भरे पड़े हैं। तमाम दावों और योजनाओं के बाद भी सरकार मरीजों को सुव्यवस्थित और सस्ता इलाज नहीं दे पा रही है। पैसे वाले तो निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा लेते हैं, पर गरीब जनता सरकारी अस्पतालों में एक वैध बिस्तर के लिए तरस जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के मुताबिक आधी दुनिया की जनसंख्या अभी भी उन स्वास्थ्य सेवाओं से दूर है जिनकी उन्हें जरूरत है। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी किसी भी देश या राज्य शासन की होती है। स्वास्थ्य सेवा सुलभ होने के मामले में भारत दुनिया के 195 देशों में 154वीं पायदान पर हैं। यहां तक कि यह बांग्लादेश, नेपाल, घाना और लाइबेरिया से भी बदतर हालत में है। देश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और इस क्षेत्र में काम करने वालों की बेतहाशा कमी है। राजधानी रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर पूरी तरह से लूट मची हुई हैं।
पलारी (बालोद)। अक्सर शिकायतें रहती हैं कि कुछ हॉस्पिटल अपने यहां से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंकते हैं; मगर बालोद जिलान्तर्गत पलारी, उप स्वास्थ्य केंद्र परिसर के अंदर कचरे का एक ऐसा ढेर देखने को मिला जहाँ छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा जनता को मुफ्त में प्रदाय की जाने वाली दवाइयां काफी तादात में अवसान तिथि (Expiration date) से पहले फेंकी दी गई थी।
देखिए वीडियो : –
भारत सरकार ने Biomedical Waste (Management and Handling) Rules 1998 पारित किया है जो कि उन सभी लोगों पर लागू होता हा जो ऐसे बायो-मेडिकल कचरे को इकठ्ठा करने, उत्पन्न करने, प्राप्त करने में, ट्रांसपोर्ट, डिस्पोस करते हैं या उनसे सम्बंधित डील करते हैं। यह नियम अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, पशु संस्थान, पैथोलोजिकल लैब और ब्लड बैंक पर लागू होता है। ऐसे संस्थानों के लिए बायो मेडिकल वेस्ट / मेडिकल कचरे को ट्रीट करने के लिए अपने संस्थानों में मशीनें, और आधुनिक उपकरण में लगाने ही होते हैं और उनके पास इसके निराकरण के लिए उचित व्यवस्था का सर्टिफिकेट होना भी आवश्यक है। अगर किसी के पास यह सर्टिफिकेट नहीं मिलता है तो हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने का प्रावधान है।
उक्ताशय को लेकर जब उप स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर सुनील देवांगन से रूबरू पूछा गया कि डॉक्टर साहब यह दवाई वर्तमान के समय में उपयोग के लायक है; तो फिर यह दवाई और इंजेक्शन इस कचरे के ढेर पर कैसे दिख रहे हैं ? कचरे के ढेर पर मिली दवाइयों के शीशियां / इंजेक्शन में लिखा है “छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जारी बिक्री के लिए नहीं” (नॉट फॉर सेल) जिसकी एक्सपायरी डेट अभी बाकी है। डॉक्टर साहब का जवाब था – “मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, दवाई कचड़े ढेर पर है इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी यहां के फार्मासिस्ट है। आप उन्हीं से पूछिए कि यह दवाइयां कचरे के ढेर पर किसने रखी है। फार्मासिस्ट जांच कर आपको पूर्ण जानकारी दे देंगे यह कहकर डॉक्टर सुनील देवांगन जाते-जाते फार्मासिस्ट के कंधे पर दवाइयों को कचड़े के ढ़ेर पर पाए जाने की भार और आरोप डाल गये। *उक्त सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी बालोद सीएमएचओ बीएल रात्रे को फोन पर भी दी गई थी।
फार्मासिस्ट के रिकॉर्ड के अनुसार पलारी स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा 3 जुलाई 2019 को पलारी उप स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले 5 विभिन्न (कंवर, मोहारा, अरकार, अरमरी, डोटोपार) सेक्टरों को आबंटित है। जानकारी के दौरान चौकाने वाले तथ्य यह उजागर हुआ कि डोटोपार में भवन विहीन स्वास्थ्य केंद्र है जिसे आंगनबाड़ी में संचालित होता है और वहां की सेक्टर प्रभारी डॉक्टर सुनील देवांगन के मोहतरमा है ! दवाइयां यहाँ से वे क्यों नहीं ले गए इनका जवाब तो उन्हीं से पूछ लीजिएगा….
इस समस्त जानकारी लेते-लेते लगभग 2 घंटा बीत चूका था और इलाज के लिए मरीजों का आना चालू हो गया लेकिन, उप स्वास्थ्य केंद्र पलारी में पदस्थ डॉक्टर साहब अब तलक नदारत थे, कारण जानने के प्रयास में हॉस्पिटल में मौजूद स्टॉप नर्स से पूछे जाने पर नर्स ने बताया कि डॉक्टर साहब बीएमओ गुरुर से मिलने गए हैं और उनकी अनुपस्थिति में मरीजों का इलाज फार्मासिस्ट साहब करेंगे। डॉक्टर सुनील देवांगन जिसे हमारे द्वारा शाम के समय फोन लगाया तो वह बीएमओ गुरुर के यहां नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के साथ त्योहार मनाने घर जा रहा था।
*सुबूत हाईवे क्राइम टाईम के पास सुरक्षित है।
Descupinização é essencial pɑra controle de
cupins.