मिर्रिटोला की गलियों में उठी स्वच्छता की नई लहर।
जब बस्तियों ने खुद को चमकाया, और जिम्मेदारों ने उठाया झाड़ू

गुरूर (बालोद) hct : मिर्रिटोला गांव में चलाए गए स्वच्छता पखवाड़ा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अगर राजनीतिक भाषणों से आगे बढ़कर नेता और अफसर झाड़ू उठाएं, तो गांव भी जाग उठते हैं।
जनपद पंचायत गुरूर और ग्राम पंचायत मिर्रिटोला के संयुक्त प्रयासों से निकला यह आयोजन न केवल सफाई का प्रतीक था, बल्कि उस सूखते सामाजिक उत्तरदायित्व को सींचने की एक ईमानदार कोशिश भी रही – जिसे अकसर बजट फाइलों में दफन कर दिया जाता है।
जब नेता बने श्रमिक, और गलियां बनी गवाही
इस सफाई अभियान में वो हुआ जो आमतौर पर नहीं होता — मंच पर भाषण देने वाले नेता खुद गलियों में उतरे। बाजार चौक से लेकर छोटी बस्तियों तक, सामूहिक श्रमदान ने एक ऐसा दृश्य रचा, जो स्वच्छता मिशन की प्रचार तस्वीरों से कहीं ज्यादा वास्तविक और जीवंत था।
प्रबुद्धजनों ने भी इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि प्रेरणा की शुरुआत बताया।
लिस्ट लंबी है, पर इरादे भी साफ थे
इस आयोजन में उपस्थिति की सूची किसी राजनीतिक रैली जैसी लंबी रही, लेकिन यह महज़ भीड़ नहीं थी — यहाँ हर चेहरा झाड़ू के साथ था:
- श्रीमती सुनीता संजय साहू, अध्यक्ष – जनपद पंचायत गुरूर
- दुर्गानंद साहू, उपाध्यक्ष
- संजय साहू, भाजपा नेता एवं पूर्व सरपंच
- उमेश रात्रे, मुख्य कार्यपालन अधिकारी
- तीरथ यादव, सरपंच – चिटौद
- हीरामणि साहू, पूर्व जनपद सदस्य
- केजू राम साहू, भाजपा नेता
- राजेन्द्र साहू, सरपंच – बोहारडीह
- रवि साहू, भाजपा युवा नेता
इनके साथ बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता, अधिकारी, कर्मचारी और ग्रामीण भी इस अभियान में शामिल हुए।
क्या यह सिर्फ एक दिन की कहानी है?
यह सवाल वहीं से उठता है, जहां से सरकारें अक्सर चुप हो जाती हैं। यदि यह आयोजन केवल फोटो खिंचवाने के लिए था, तो इसका असर अगले रविवार तक मिट जाएगा। लेकिन अगर इसे मिशन की तरह लिया गया, तो यह गांव अगली पीढ़ी को भी यह सिखाएगा कि स्वच्छता केवल नारे नहीं, संस्कार है।
स्वच्छता केवल एक दिन की रस्म नहीं
यह आयोजन एक बार फिर साबित करता है कि यदि राजनीतिक नेतृत्व, प्रशासनिक अमला और आम जनता साथ आए, तो किसी भी गांव को स्वच्छ और प्रेरणास्पद बनाया जा सकता है। मिर्रिटोला की गलियों में बहा पसीना भविष्य में कई और गांवों को प्रेरणा देगा।


मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)