जहाँ दलित होना आज भी गुनाह है !
दलित महिला आरक्षित सीट पर दबंगों का रोड़ा।
पंचायत चुनाव में दलित महिला के लिए आरक्षित सीट पर भी दलित महिला को दबंगों ने पर्चा भरने से रोका, शिकायत पर कोई कार्यवाई नही।
कांकेर। बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है अगर यह सच है तो बेहद ही शर्मनाक है कि आज भी दबंगों द्वारा दलितों को उनके संवैधानिक अधिकार से पृथक करने से शासन नहीं रोक पा रहा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कांकेर जिले के ग्राम तेलावट के शांति, नीरा और सुलोचना ने आज जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर शिकायत की है कि उनके ग्राम के भाटापारा वार्ड जो अनुसूचित जाति (महिला) के लिए आरक्षित है उसके बावजूद उन्हें वहां से वार्ड के दबंगों द्वारा पर्चा भरने से रोका गया।
पार्षद का चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं इन महिलाओं का कहना है कि गांव के दबंग चाहते हैं कि यह सुरक्षित सीट खाली रहे।
बंसल न्यूज़ चैनल के हवाले से पता चला है कि आज जिला निर्वाचन अधिकारी से इन शिकायतकर्ता महिलाओं की मुलाकात नहीं हो सकी है, और न ही कांकेर के जिला निर्वाचन अधिकारी से इस सम्बंध में भूमकाल समाचार लिखते हैं कि उक्ताशय को लेकर अभी तक उनकी भी किसी उच्चाधिकारी से बात नहीं हुई है।
उक्ताशय से सम्बद्ध होकर जब हमने प्रदेश के एक नामी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ एम जॉर्ज गोल्डी से उनके राय जानने के लिए फोन पर बात किया तो उनका कहना है कि – “यह सरासर गलत है। हमें जिस संविधान के तहत जो अधिकार मिला है उसकी अवहेलना की जा रही है ऐसा होना नहीं चाहिए, और तत्काल इस विषय पर जिला निर्वाचन अधिकारी संज्ञान लेकर संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए और उन्हें जेल भेज देना चाहिए।”
महिलाओं का कहना है कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने उनसे मिलने से ही मना कर दिया ! इधर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पर्चा भरने का अंतिम तिथि 09 जनवरी थी; जो समाप्त हो चुका है।