“नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी” आगे अवैइया है पंचायत सचिवो की बारी।
बालोद। प्रदेश पंचायत सचिव संघ ने अपने पांच सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से 12 अक्टूबर को मुलाकात किये थे। जिसमे मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया गया था कि मांगो को पूर्ण कर पंचायत सचियो को पर्यवेक्षक अवधि पूर्ण होने का दर्जा मिल जाएगा, लेकिन अब तक इस पर निर्णायक फैसला नही लेने से पंचायत सचिव संघ काफी नाराज है। वही प्रांताध्यक्ष कन्हैया राजपूत ने बताया कि 19 नवंबर को पूरे प्रदेश भर के पंचायत सचिव जिसकी संख्या 11 हजार है। सब मिलकर विरोध करते हुए इदगाह भांठा मैदान से रैली निकाल कर कालीबाड़ी में प्रथम मजिस्ट्रेड को ज्ञापन सौंपने की बात बताई है। साथ ही अगर मांग पूर्ण नही किया जाता है तो अनिश्चित हड़ताल की भी बात कही है।
प्रदेश सरकार इन दिनो डांवाडोल की स्थिति से सरकार की साख को बनाये रखने की कोशिशो में दिन रात लगी है। प्रदेश भर में धान, रेत ट्रांसफर,के विवादो ने सरकार की रातो की नींद और दिनो का चैन उड़ा कर रख दिया है वहीं प्रदेश में कांग्रेसी कार्यकर्ताओ के आपसी विवाद भी पार्टी के साथ प्रदेश सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने प्रदेश सरकार से निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारीयो के संबध में दिये गये बयान भी काफी गंभीर है; इसी बीच प्रदेश के पंचायत सचिव संघ ने सरकार को नजरअंदाज करने की भुल पर रैली, धरना प्रदर्शन की बात कह कर सरकार की सुखे गले को दो बुंद जीवन की जल को देने के बजाय और सुखा बनाये रखने के लिए रैली धरना प्रदर्शन की बात पर प्रेस विज्ञप्ति जारी किया है। निश्चित तौर पर सरकार इस वक्त कठिन दौर से गुजर रही है प्रदेश भर के किसान इन दिनो धान की मुल्यो पर प्रदेश सरकार के ओर देख रही है प्रदेश के जनता को समझने के लिए प्रदेश भर के ब्लाक मुख्यालयो में केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर जनता के समकक्ष कुछ दाग अच्छे होते है ये कहने और दिखाने की प्रयास किया गया लेकिन किसान अपने आप को ठगा महसुस कर रही है, ऐसे में पंचायत सचिवो की नाराजगी शायद सरकार को भारी ना पड़ जाये।