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समस्यायें बनी रहे युग-युग जिए हमारे नेता, अधिकारी और पत्रकार।

समाज में जब समस्याएं ही नहीं होगी तब ये बेचारे हमारे नेता, अधिकारी, पत्रकार क्या करेंगे ? जब मरीज बढ़ेेंगे, तभी तो डॉक्टर की आवश्यकता पड़ेगी। जुल्म, अन्याय, दमन और उत्पीडऩ बढ़ेगा तभी तो न्यायाधीश, वकील और पुलिस अधिकारियों की जरूरत; समाज समझेगा, वरना ये बेचारे कहां जाएंगे ? कब तक बैठकर मक्खी मारेंगे…?
जहां तक समस्या भ्रष्टाचार के उन्मूलन की है; हम सभी जानते हैं की देश के सबसे बड़े उद्योग रेल्वे में भ्रष्टाचार न होता तो सोने की पटरियां बिछ जाती। यही हाल बिजली विभाग का है देश में बिजली का अभाव नहीं। बिजली का बनावटी संकट केवल भ्रष्टाचार पर आधारित, दूषित व्यवस्था की देन है जिसके भ्रष्ट अधिकारी – नेता ही जिम्मेदार है।
यूपी में बिजली संकट के पिछे सिर्फ लूुट जिम्मेदार है। बिजली चोरों की चांदी कट रही है, परेशानी में केवल वास्तविक ईमानदार उपभोक्ता है जो महंगी बिजली खरीदकर नियम से बिल पटाते हैं फिर भी कटौती के शिकार वही होते हैं। देश-प्रदेश में है बिजली की भरमार, फिर भी हाहाकार के भ्रष्टाचार और भ्रष्ट सरकार ही जिम्मेदार।
सरकार चाहे कांग्रेसी हो, बीजेपी की हो या किसी भी दल या नेता की हो। न्यायालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए सभी जज या वकील नहीं किन्तु बोलबाला तो भ्रष्ट जजों एवं भ्रष्ट स्वार्थी वकीलों का ही है। पानी की भी कमी नहीं, कमी के लिए पानी का वातावरण ही जिम्मेदार है।

Dinesh Soni

जून 2006 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मेरे आवेदन के आधार पर समाचार पत्र "हाइवे क्राइम टाईम" के नाम से साप्ताहिक समाचार पत्र का शीर्षक आबंटित हुआ जिसे कालेज के सहपाठी एवं मुँहबोले छोटे भाई; अधिवक्ता (सह पत्रकार) भरत सोनी के सानिध्य में अपनी कलम में धार लाने की प्रयास में सफलता की ओर प्रयासरत रहा। अनेक कठिनाइयों के दौर से गुजरते हुए; सन 2012 में "राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा" और सन 2015 में "स्व. किशोरी मोहन त्रिपाठी स्मृति (रायगढ़) की ओर से सक्रिय पत्रकारिता के लिए सम्मानित किए जाने के बाद, सन 2016 में "लोक स्वातंत्र्य संगठन (पीयूसीएल) की तरफ से निर्भीक पत्रकारिता के सम्मान से नवाजा जाना मेरे लिए अत्यंत सौभाग्यजनक रहा।

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