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आखिर क्यों उपेक्षित हो रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता और विधायक ?
रायपुर (hct)। छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी जगजाहिर है। अपने इसी गुटबाजी के चलते और एक-दूसरे को नीचा दिखाने की वजह से प्रदेश कांग्रेस 15 साल सत्ता विमुख रही, और अब जबकि छत्तीसगढ़ की जनता ने भाजपा को धोबी पछाड़ देकर पुनः कांग्रेस को मौका दिया है तब भी ये अपनी चालबाजी और गुटबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं !
वर्तमान मंत्रिमंडल में दुर्ग संभाग से सर्वाधिक विधायक; मंत्री पद में काबिज हैं। सिवाय बस्तर से यदि कवासी लखमा को छोड़ दें; जिन्हें मुखिया फूटी आंख भी नही भाता, प्रदेश के सारे विधायकों को नजरअंदाज किया जा चुका है। एकछत्र होने का इतना दम्भ कि इनके कार्यकाल को लगभग 9 महीने पूरा होने जा रहा है; मंत्रिमंडल के न तो किसी मंत्री की कोई बात मानी व रखी जा रही है और न किसी विधायक की सुनी जा रही है।
“सत्ता कांग्रेस का; तवज्जों भाजपाइयों को”
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही आधी रात की सरकार ने भाजपा शासनकाल में दागी, अपराधीनुमा अधिकारियों और भाजपा के हितैषियों को कुछ ज्यादा ही तवज्जों देते आए हैं, भले ही इसके लिए उन्हें पार्टी के वरिष्ठों को नजरअंदाज ही करना क्यों न पड़े ! उदाहरण के तौर पर एक रहस्यमय बात यह बता दें कि, भूपेश मंत्रिमंडल में भले ही कांग्रेस के मुख्यमंत्री सहित 13 मंत्री हैं; लेकिन भाजपा के एक अघोषित मंत्री के रूप में आज भी बृजमोहन अग्रवाल, जल संसाधन मंत्री का पद भार सम्हाल रहे हैं। इन्ही कड़ी में एक ताजा मामला यह उजागर हुआ है कि वरिष्ठ विधायक के आदमी को हटाकर भाजपा के अध्यक्ष, विक्रम उसेंडी के निज सहायक के भाई बृजेश बाजपेयी को राज्य ओपन स्कूल के उपसचिव के पद से उपकृत किया गया है।
आपको बता दें कि इस पद पर इसके पूर्व सारस्वत थे और वे वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा के क्षेत्र के निवासी हैं, एवम उनके परिवार के अन्य लोग कांग्रेस से जुड़े हैं।
एक शिकायती पत्र के हवाले से बृजेश बाजपेयी के बारे में जानकारी पुख्ता होती है कि – ![](https://highwaycrimetime.in/wp-content/uploads/2019/09/IMG-20190904-WA0134-247x280.jpg)
जिस बृजेश बाजपेयी को भूपेश सरकार ने यह सौगात भेंट की है उसके बारे में यह जगजाहिर है कि वे प्राचार्य पद पर रहते हुए और पूर्व में जिन्हें कोंडागांव, कांकेर जिले में प्रभारी डीईओ के पद पर बतौर उपकृत किया गया, ये भाजपा के पक्ष में विक्रम उसेंडी का खुलकर प्रचार किए थे। कांग्रेस के सत्ता में आने के पहले इन्हें पुनः धमतरी जिले का डीईओ बना दिया गया था।
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