रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस सरकार से भाजपा की तरह जुमलेबाजी न करने और आदिवासियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील होने का आग्रह किया है। पार्टी ने कहा है कि नर्सिंग छात्राओं की छात्रवृत्ति एक माह पूर्व आबंटित कर दिए जाने के दावे के बावजूद सच्चाई यही है कि अभी तक छात्राओं को यह राशि मिली नहीं है और उन्हें नौकरी देने के वादे पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है। इसलिए 24 जून को छात्राएं अपनी छात्रवृत्ति और नौकरी खोजने के लिए ‘रेंगने’ के अपने फैसले पर अटल है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि भाजपा का आदिवासी विरोधी चरित्र तो स्पष्ट है। छात्रवृत्ति न देने की उसकी करतूत के कारण 68 आदिवासी छात्राओं को नर्सिंग का प्रशिक्षण छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा है और जिन 32 छात्राओं ने किसी तरह प्रशिक्षण पूरा किया है, उनके परिवार कर्ज़ के फंदे में फंस गए है। जबकि,यूरोपियन कमीशन के 1.165 करोड़ रुपये पिछले तीन सालों से सरकार के पास अमानत के रूप में रायपुर में स्टेट बैंक के खाता क्रमांक 323847007 में रखे हुए हैं।माकपा नेता ने अपने इस दावे के संबंध में अपने बयान के साथ स्वास्थ्य विभाग का एक परिपत्र भी संलग्न करते हुए पूछा है कि यदि बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरण को आबंटित राशि से छात्रवृत्ति दी जा रही है, तो सरकार बताए कि यूरोपियन यूनियन द्वारा दिये गए पैसे कहां गए? इस घोटाले के जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की जा रही है ?
पराते ने कहा कि पिछले 6 माह में 32 छात्राओं को छात्रवृत्ति दे पाने में अपनी असफलता के बाद अब सरकार को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह कब तक इन छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान करेगी और इन प्रशिक्षित नर्सों को स्टाफ नर्स की नौकरी देने में उसे कितना समय लगेगा? उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में और आदिवासी क्षेत्रों में नर्सों की भारी किल्लत है।
आदिवासी नर्सिंग छात्राएं रेंगकर जायेंगी मुख्यमंत्री निवास तक, मांगेंगी अपनी छात्रवृत्ति और नौकरी : माकपा का समर्थन
बस्तर और सरगुजा की आदिवासी नर्सिंग छात्राएं 24 जून को रेंगते हुए मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचेंगी और अपनी लंबित छात्रवृत्ति देने तथा यूरोपीयन कमीशन की योजना के अनुसार, सरकारी वादे के तहत स्टाफ नर्स की नौकरी देने की मांग करेंगी।
उल्लेखनीय है कि यूरोपीयन कमीशन की ईसीएसपीपी कार्यक्रम के तहत इन आदिवासी छात्रों को वर्ष 2016 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश दिलाया गया था। लेकिन इस फंड में घोटाले के कारण कमीशन ने इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है। इसकी आड़ में भाजपा सरकार ने भी छात्रों को छात्रवृत्ति देना बंद कर दिया था, जबकि यह राशि कमीशन द्वारा पहले ही राज्य सरकार को दी जा चुकी थी।
पिछले दो सालों से ये छात्राएं तत्कालीन मुख्यमंत्री रमनसिंह सहित कई मंत्रियों और अधिकारियों से मिलकर अपना दुखड़ा सुना चुकी है. छात्रवृत्ति नहीं मिलने के कारण प्रभावित परिवार क़र्ज़ के फंदे में फंस चुके हैं और उन्हें अपनी जमीन-जायदाद-गहने गिरवी रखने-बेचने पड़े हैं. कॉलेज प्रबंधन अनुबंध से ज्यादा फीस मांग रहे हैं और वे छात्रों की अंकसूची रोकने की धमकी दे रहे हैं। सरकार बदलने के बाद वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी 1 मार्च को मिली थी. उन्हें आश्वासन तो मिला, लेकिन छात्रवृत्ति नहीं। इस संबंध में तत्कालीन माकपा सांसद जीतेन्द्र चौधुरी ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
सरकार और अधिकारियों की संवेदनहीनता से परेशान छात्रों ने अब एक बार फिर मुख्यमंत्री से गुहार लगाने का फैसला किया है, लेकिन इस बार वे अपनी बदहाली-बर्बादी की कहानी बताने जयस्तंभ चौक से रेंगकर मुख्यमंत्री निवास तक जायेंगी और छात्रवृत्ति-नौकरी की मांग करेगी। वे यह भी मांग करेगी कि फीस के नाम पर कॉलेजों के प्रबंधन पूरी छात्रवृत्ति ही हड़प जायेंगे, अतः निर्धारित शुल्क से ज्यादा न लेने के कॉलेजों को निर्देश दिए जाए औए पूरी राशि छात्रों के खाते में डाली जाए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की जनवादी नौजवान सभा ने आदिवासी छात्राओं के संघर्ष में उनका साथ देने का फैसला किया है। माकपा राज्य सचिव संजय पराते और जनौस राज्य संयोजक प्रशांत झा ने सरकार से आग्रह किया है कि छात्रों को उनकी लंबित छात्रवृत्ति तुरंत दी जाये और प्रोजेक्ट के अनुसार उन्हें नौकरियां दी जाएं। अपने बयान में उन्होंने कहा है कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में नर्सिंग के हजारों पद खाली हैं और आदिवासी क्षेत्रों में तो भारी किल्लत है. ऐसे में इन प्रशिक्षित नर्सों की मदद से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार संभव है।