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स्वास्थ्य विभाग के अफसर बताते हैं, निजी अस्पताल अपने मनमाने ढंग से गरीबों का इलाज कर उन्हें चूना लगा रहे थे। इसके पीछे मंशा थी कि मुफ्त उपचार योजनाओं से मिलने वाली राशि के अलावा किसी न किसी जरिये से मरीज व उनके परिजन से अतिरिक्त राशि वसूल लिया जाए। मरीजों से लगातार ऐसी शिकायत मिल रही थी। विशेषकर बिलासपुर स्थित अपोलो, किम्स ने तो अपनी मर्जी के अनुसार आयुष्मान भारत योजना में काम ही नहीं किया। संजीवनी सहायता कोष योजना में आने वाले मरीजो का ही ये अस्पताल उपचार कर रहे थे। ऐसे में बिलासपुर व इससे लगे जिले के मरीज जिनका नाम आयुष्मान योजना में था, उन्हें नाहक ही परेशान होना पड रहा था। बिलासपुर या आसपास जिले के आयुष्मान में शामिल मरीजों को रायपुर की दौड लगानी पड रही थी। रायपुर जिले में भी कुछ ऐसे अस्पताल जो अपनी मर्जी से योजनाओं को संचालित कर रहे हैं। इनके अलावा योजनाओं से हटाए गए कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जो योजना में शामिल होने के बाद भी कभी इसके जरिए उपचार ही नहीं किया।


