मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी समीर कुलकर्णी को झटका, UAPA के तहत मामला चलाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले के आरोपियों में से एक समीर कुलकर्णी को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कुलकर्णी की गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला चलाने की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगी। पीठ ने कहा कि विवादित फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।
वहीं कुलकर्णी के अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने केस चलाने के लिए यूएपीए की धारा 45(2) के तहत मंजूरी नहीं ली। इसलिए आरोप बरकरार नहीं रखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पास मामला जाने के बाद केंद्र सरकार से मंजूरी ली जानी चाहिए थी। इससे पहले शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को कुलकर्णी के खिलाफ कार्यवाही वाले विशेष अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी।
समीर कुलकर्णी की याचिका में क्या कहा गया
कुलकर्णी की तरफ से वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा अदालत में पेश होकर याचिका दायर की थी। याचिका में यूएपीए की धारा 45(2) के तहत वैध मंजूरी के बिना ट्रायल कोर्ट के मुकदमा चलाने के फैसले को चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया है कि बिना किसी अधिकार क्षेत्र के ऐसी कार्यवाही की जा रही है, लिहाजा कोई भी मुकदमा शुरू नहीं हो सकता। विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता को बेवजह परेशान किया जा रहा है और उसके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के 28 जून 2023 के आदेश को भी चुनौती दी गई। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनआईए अदालत के 24 अप्रैल 2023 के आदेश को बरकरार रखा था। इससे पहले एनआईए कोर्ट ने कुलकर्णी की याचिका खारिज कर दी गई थी।
क्या था मालेगांव विस्फोट
29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव में मोटरसाइकिल पर रखे बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 100 लोग घायल हो गए थे। विस्फोटे की साजिश के आरोप में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को नौ अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। महाराष्ट्र एटीएस से जांच अपने हाथ में लेने के बाद एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी।