छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट जज के संपर्क में थे PDS घोटाले के दागी अफसर, ईडी का सुप्रीम कोर्ट में खुलासा
छत्तीसगढ़ में करीब एक हजार करोड़ रुपये के कथित पीडीएस घोटाला मामले में शामिल अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज से संपर्क किया था। ये जानकारी ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में दी है। सुप्रीम कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि तत्कालीन कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के दो नौकरशाह अपने खिलाफ चल रहे मामले को कमजोर करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे थे। हालांकि, ईडी के 1 अगस्त के हलफनामे में संबंधित जज का नाम नहीं है। लेकिन व्हाट्सएप चैट डिटेल्स से पता चलता है कि वह छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक जस्टिस थे। ईडी ने कहा कि उनसे उनके भाई और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह के जरिए संपर्क किया गया था।
जज के संपर्क में थे दो अधिकारी
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ के नागरिक जन आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में आरोपी दो वरिष्ठ नौकरशाह अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला अक्टूबर 2019 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज के संपर्क में थे। उसी जज की अदालत से 16 अक्तूबर 2019 को आलोक शुक्ला को जमानत पर रिहाई का आदेश जारी हुआ था। ईडी ने दावा किया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों दागियों और न्यायाधीश के बीच संपर्क बनाए हुए थे। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक जस्टिस को इस साल पटना हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था।
ईडी ने लगाए ये आरोप
ईडी ने कहा है कि मुकदमे को पटरी से उतारने की कोशिश किए जाने की जांच शुरू करने के लिए हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं। टुटेजा तत्कालीन एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से न्यायाधीश के संपर्क में थे, जैसा कि 31 जुलाई और 11 अगस्त 2019 के व्हाट्सएप संदेशों से स्पष्ट है। इसमें कहा गया है, “व्हाट्सएप संदेशों से पता चला है कि न्यायाधीश की बेटी और दामाद का बायोडाटा तत्कालीन एजी द्वारा अनुकूल कार्रवाई के लिए टुटेजा को भेजा गया था, जो न्यायाधीश और दोनों मुख्य आरोपी टुटेजा और शुक्ला के बीच समन्वय का काम कर रहे थे।”
ईडी ने कहा, “टुटेजा और शुक्ला आरोपी शुक्ला की अग्रिम जमानत के मामले को लेकर जज के भाई (अजय सिंह) के संपर्क में थे, जो जज की बेंच के समक्ष लंबित था। जैसे ही 16 अक्टूबर 2019 को दोनों आरोपियों को जमानत दी गई, जज के भाई को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया गया और 1 नवंबर 2019 को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।
इसमें कहा गया है कि दोनों आरोपी सह-आरोपी शिव शंकर भट्ट के मसौदा बयान को साझा कर संशोधित करने में शामिल थे, ताकि अनुसूचित अपराध में अन्य प्रमुख आरोपियों की भूमिका कमजोर साबित की जा सके। ईडी ने कहा कि टुटेजा और शुक्ला के तत्कालीन महाधिवक्ता के साथ 4 अक्टूबर से 16 अक्टूबर 2019 के व्हाट्सएप चैट के विश्लेषण से हाईकोर्ट के जस्टिस के भाई और तत्कालीन एडीजी आर्थिक अपराध शाखा-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रायपुर की भूमिका का पता चलता है। इस समय वही अनुसूचित अपराध का बचाव करने के प्रभारी थे। दोनों आरोपियों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले को कमजोर करने में इन्होंने ही अहम भूमिका निभाई।
हटाई गई कई जरूरी डिटेल्स
एजेंसी ने दावा किया कि घोटाले पर राज्य ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट से कई पैराग्राफ टुटेजा और शुक्ला के कहने पर मुख्य आरोपी के हितों की रक्षा के लिए हटा दिए गए थे। बाद में वही संशोधित रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश की गई थी। ईडी ने कहा कि अभियुक्तों की संलिप्तता और उच्च पदस्थ संवैधानिक राज्य अधिकारियों की मिलीभगत से मुकदमे को पटरी से उतारने तथा साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के ठोस प्रयास के संबंध में एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
क्या है यह पूरा घोटाला?
बीजेपी आरोप लगाती है कि भूपेश बघेल के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ था। बीजेपी का आरोप है कि राज्य में 13 हजार 301 दुकानों में राशन बांटने में गड़बड़ी की गई है। आरोप है कि अकेले चावल में ही 600 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। कुल घोटाला एक हजार करोड़ से ज्यादा का बताया जाता है। बीजेपी का आरोप है कि स्टॉक वैरिफिकेशन नहीं करने के बदले में एक-एक राशन दुकान वाले से 10-10 लाख रुपये लिया गया था।