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“मोदी राज” मे जिलाधिकारियों द्वारा “सूचना का अधिकार अधिनियम-2005” की खुली अवहेलना ! मर्ज लाइलाज़ क्यों ?
*कृष्ण कुमार त्रिपाठी
रायपुर। जिन जिलाधिकारियों पर “कानून व्यवस्था” बनाए रखने की जिम्मेदारी कानून और संविधान ने सौंपी है, “मोदी राज” मे आज वही जिलाधिकारी कानून हाथ में लेकर विधि विपरीत कार्य कर रहे हैं जो कि दण्डनीय अपराध की श्रेणी मे आता है।
जिस तरह से हण्डी के दो चावल से पूरी हण्डी के चावल का पता चल जाता है उसी तरह उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के जिले के जिलाधिकारियों की लें तो वे इसी तथ्य की पुष्टि करते हैं। भुक्तभोगी खाकसार ने अरसा हुआ जिला प्रतापगढ़ (उ.प्र.) के जिलाधिकारी के कार्यालय में “लोकतन्त्र सेनानी प्रमाण पत्र” हेतु निर्धारित प्रपत्र मे नियमानुसार लिखित आवेदनपत्र दिनांक 01/03/2007 को प्रस्तुत किया तथा दिनांक 15/05/2008 को तत्सम्बन्ध मे स्मरणपत्र और फिर दिनांक 06/10/2018 को रजिष्टर्ड ए.डी. के माध्यम से एक आवेदनपत्र समर्थित कुल पांच दस्तावेजों सहित प्रेषित किया किन्तु शासन द्वारा आज तक उक्त आवेदनपत्रों का निराकरण नहीँ किया गया और तो और प्रेषित उक्त रजिष्टर्ड ए.डी.पोस्ट की पावती तक नही दी गई। तब पुनः उक्त जिलाधिकारी को “सूचना का अधिकार-2005” के अधीन आवेदनपत्र दिनांक 14 /11/2018 को रजिष्टर्ड ए.डी.के माध्यम से प्रेषित किया गया किन्तु, उसकी भी न तो आज तक पावती मिली न ही तत्सम्बन्ध मे चाही गई जानकारी ही दी गई, जबकि आपेक्षित जानकारी दिए जाने की म्याद भी समाप्त हो गई है।
