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Chhattisgarh

मेडिकल कॉलेज अस्पताल से दो बंदी फरार…

: एक पॉक्सो तो दूसरा NDPS एक्ट में था जेल में बंद, अस्पताल के जेल वार्ड में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को दिया चकमा

अंबिकापुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जेल वार्ड से रविवार की देर रात दो विचाराधीन बंदी फरार हो गए। इनमें एक बंदी पॉक्सो एक्ट और दूसरा एनडीपीएस एक्ट के आरोप में सेंट्रल जेल अंबिकापुर में बंद था। दोनों ने अस्पताल के जेल वार्ड में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर भागने की योजना को अंजाम दिया। घटना की जानकारी मिलते ही जेल प्रबंधन और मणिपुर चौकी पुलिस हरकत में आ गई।

दोनों बंदी गंभीर मामलों में थे गिरफ्तार

लखनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम अंधला निवासी रितेश सारथी नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में पॉक्सो एक्ट के तहत जेल में बंद था। वहीं सूरजपुर जिले के ग्राम जमड़ी निवासी पवन पाटिल को एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल भेजा गया था। दोनों की तबियत खराब होने के बाद उन्हें इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती किया गया था, जहां सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस कर्मियों पर थी।

रात 3 बजे सुरक्षाकर्मियों को दिया चकमा

रविवार की रात करीब तीन बजे दोनों बंदी अस्पताल के जेल वार्ड से चकमा देकर फरार हो गए। वार्ड में तैनात सुरक्षाकर्मियों को जब इसकी भनक लगी, तब तक दोनों मौके से निकल चुके थे। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत इसकी सूचना जेल प्रशासन को दी। इसके बाद पुलिस ने चारों ओर नाकेबंदी कर खोजबीन शुरू कर दी है।

पुलिस ने दर्ज किया मामला, तलाश जारी

घटना की सूचना मिलते ही जेल प्रबंधन ने मणिपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने दोनों फरार बंदियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया है और संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।
सेंट्रल जेल अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल के जेल वार्ड में कुल चार बंदियों का इलाज चल रहा था, जिनमें से दो ने भागने में सफलता पा ली। घटना की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा कि फरार बंदियों की तलाश के लिए विशेष टीम गठित की गई है।

एक महीने में दूसरी बड़ी चूक

सिर्फ एक महीने के भीतर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से बंदियों के भागने की यह दूसरी घटना है। इससे पहले बिलासपुर के मल्हार निवासी एक हत्या का दोषी कैदी भी उपचार के दौरान भाग निकला था, जिसने बाद में बिलासपुर कलेक्टर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। उस मामले में चार जेल प्रहरियों को बर्खास्त किया जा चुका है। लगातार हो रही इन घटनाओं ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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