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Chhattisgarh

एनटीपीसी फ्लाईऐश घोटाला: 130 किमी दिखाकर 15 किमी में डंपिंग

आर्शीवाद ट्रांसपोर्ट के मोनू राजपाल और एनटीपीसी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी बिलिंग, जीपीएस और टोल रसीदों का खेल – स्थानीय लोगों ने रंगे हाथ पकड़ा अवैध परिवहन।

बिलासपुर hct : एनटीपीसी सीपत प्लांट से निकलने वाली राखड़ (फ्लाईऐश) को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। डंपिंग का कार्य 120 से 130 किलोमीटर दूर करने का वर्क ऑर्डर जारी किया गया था, लेकिन ट्रांसपोर्टर और प्लांट अधिकारियों की मिलीभगत से इसे महज़ 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर खदानों में डंप किया जा रहा है। अंतर की दूरी दिखाकर करोड़ों रुपये की वसूली की जा रही है।

जीपीएस और टोल रसीदों से जालसाजी

सूत्रों के अनुसार, ट्रांसपोर्टर द्वारा ट्रकों में लगे जीपीएस को गाड़ियों से हटाकर कार में ले जाया जाता है ताकि लंबी दूरी तय करने का झूठा रिकॉर्ड दिखाया जा सके। इतना ही नहीं, नेशनल हाईवे के टोल टैक्स की फर्जी रसीदें भी बिल भुगतान के साथ जोड़कर करोड़ों का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज वसूला जा रहा है। यह संगठित फर्जीवाड़ा केवल ट्रांसपोर्टर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्लांट अधिकारियों और कुछ टोल कर्मियों की मिलीभगत भी साफ नज़र आती है।

लोगों ने रंगे हाथ पकड़ कर किया खुलासा 

10 सितंबर को स्थानीय लोगों ने अवैध परिवहन को पकड़कर बड़ा खुलासा किया। मौके पर आठ ट्रेलर पकड़े गए जिनके वाहन क्रमांक CG 10 BJ 9686, CG 10 BJ 9979, CG 10 BS 9455, CG 10 BJ 9389, CG 10 BJ 9474, CG 10 BJ 9383, CG 10 BS 9105 और एक वाहन बिना नंबर प्लेट के पाए गए। वाहन चालकों के पास खदान में डंपिंग के लिए कोई प्रशासनिक अनुमति (NOC) नहीं थी।

दोहरी कमाई का खेल – दो एनटीपीसी से बिलिंग

जानकारी के मुताबिक, आर्शीवाद ट्रांसपोर्ट को सीपत एनटीपीसी से राखड़ को पत्थलगांव डंप करने का काम मिला था। लेकिन वही वाहन राखड़ को जयरामनगर खैरा खदान में डंप कर रहे थे, जिसकी दूरी महज़ 10–12 किलोमीटर है। इसके बाद भी फर्जी चालान और रिसीविंग दिखाकर एनटीपीसी से बिलिंग कराई जा रही थी। इतना ही नहीं, इन्हीं गाड़ियों से छुरी कोरबा और धनराज एनटीपीसी के डंपिंग ऑर्डर का भी लाभ उठाया जा रहा था। यानी एक ही ट्रांसपोर्टेशन से दोहरी कमाई की साजिश रची जा रही थी।

जांच की मांग और सबूतों पर जोर

स्थानीय लोगों ने राखड़ डंपिंग गेट और टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित करने की मांग की है, ताकि सबूत मिटाए न जा सकें। साथ ही जीपीएस ट्रैकिंग और फर्जी चालानों की जांच कर पूरी सच्चाई सामने लाई जा सके। शिकायत मस्तूरी थाने तक पहुंच चुकी है और पुलिस ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

निष्पक्ष जांच ही निकालेगी सच

इस पूरे मामले ने एनटीपीसी प्रबंधन और केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि निष्पक्ष जांच नहीं की गई तो यह घोटाला न सिर्फ करोड़ों का नुकसान कराएगा बल्कि पर्यावरण और खदान सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा साबित हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारियों की सांठगांठ से चल रहे इस गोरखधंधे पर लगाम लगाना बेहद ज़रूरी है।

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