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छत्तीसगढ़ के न्यायधानी में संचालित गैर सरकारी संगठनों के आश्रम संदेह के दायरे में…

 बिलासपुर। सामाजिक सेवा के क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठनों का विशेष महत्त्व है इनके बिना सेवा क्षेत्र में अच्छे काम की उम्मीद कठिन है; किन्तु अब सरकारी क्षेत्र के सामान भ्रष्टाचार एवं गैरकानूनी गतिविधियाँ इन गैर-सरकारी संगठनों के आश्रमों में पर भी हो रही है ! जिला प्रशासन एवं उसके जिम्मेदार अधिकारी यदि समय पर नही जागे तो बिहार जैसा कोई वीभत्स कांड हो सकता है।
       गैर-सरकारी संगठन, 3 स्तर पर काम कर रहे हैं। पहली वे संस्थान है; जिन्हें शासकीय अनुदान प्राप्त होता है, दूसरी वे संस्थान है जिन्हें शासन से मान्यता तो है; किन्तु अनुदान नही लेता, तीसरी वे संस्थानें है जो शासन से अनुदान नही लेती किन्तु सी.एस.आर मद से पैसा लेती है। शहर में जो गैर-सरकारी संगठन का काम कर रहे है उनमें हास्टल सुविधा देने वाले एन.जी.ओ, अंध, मुख, बधिर, मानसिक निशक्त, मंदबुद्धि, वृद्ध आश्रम, संचालित करते है। इन संस्थानों को केंद्र तथा राज्य
शासन के मार्फ़त पर्याप्त रकम बतौर अनुदान मिलती है जिससे ये संस्था अपने कर्मचारियों को वेतन, भवन किराया तथा हितग्राहियों का देखभाल करती है।
   इन दिनों ऐसी खबरे आ रही है कि; इन संस्थाओ के अंदर हितग्राहियों के साथ मारपीट, डराना-धमकाना आम बात होते जा रही है। संस्था के अंदर स्तरहिन खाना परोसे जाने की पक्की खबर का मामला प्रकाश में आया है। वहीं हितग्राहियों के बिस्तरों की साफ-सफाई पर ध्यान नही दिया जाता तथा कही-कही तो संस्था प्रबंधकों के द्वारा इनके साथ मारपीट भी किए जाने की पुष्टि की गई है।
पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग ऐसी संस्थाओ का निरीक्षण साल में एक बार से ज्यादा नही करता। यह निरीक्षण भी तब होता है जब संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है, ऐसे में संस्था चलाने वाला संगठन यह जानता है कि जब तक दूसरा अनुदान नही आएगा, तब तक निरीक्षण भी नही होगा। अतः वह हितग्राहियों को अनुदान के पहले तो अच्छे से रखता है फिर बाद में प्रताड़ित करता है।
शासन का नियम है कि; पुरुष हितग्राही तथा महिला हितग्राहियों को अलग-अलग रखी जायेंगी किन्तु संस्था इसका पालन नही करती। पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग; जिन संस्थाओ को काली सूचि में दर्ज करता है वही लोग नए नाम से संस्था बनाकर फिर से लुटने लगते है। आज जब छ.ग. से 27 हजार महिलाए गायब है तब गैर सरकारी संगठनों की जांच बहुत ज्यादा जरुरी हो गया है। ज्ञात हो कि पडोसी राज्य प.बंगाल, ओड़िसा, झारखंड और बिहार में एन.जी.ओ के कांड और करतूत को सब जानते है कहीं इसी प्रकार के घटना को छत्तीसगढ़ में न दोहराई जा सके इसलिए समय रहते सजग हो जाएं भविष्य के लिए उचित होगा।

@सूत्र।

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