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Corruption

सरपंच ने खोली दुकान, फर्जी बिल लगाकर होने लगा भुगतान…!

जांच में आए तहसीलदार के सामने ही दोनों गुटो की तु - तू मैं - मै उल्टे पांव वापस लौटे जांच दल...

यह सच हैं कि भारत की आत्मा गांवों में धड़कती हैं, और गांव में शासक और प्रशासक की मुख्य भूमिका में वहां के चुने हुए प्रतिनिधि यानि की सरपंच और सचिव जो एक प्रशासक की भूमिका निर्वहन करते हैं। ये सरपंच और सचिव ही एक ऐसा माध्यम होते जिनके कंधे प्रशासनिक व्यवस्था का भार होता हैं और ये दोनों पंचायत में बैठकर अन्य सहयोगी दलों (रोजगार सचिव और उपसरपंच तथा पंचों) के माध्यम से “भिकास” को गतिरुप में परिणित करते हैं। 
यदि कहा जाए तो ग्राम पंचायत ही भ्रष्टाचार का एक ऐसा गढ़ है, जहाँ सरपंच से लेकर जनपद के आला अधिकारी अपने कार्यकाल में “अस्सी रूपए किलो की भाव से बिकने वाले टमाटर की तरह लाल हो जाते हैं।
बस्तर से लेकर सरगुजा और गरियाबंद जिला के प्रथम जनपद पंचायत देवभोग के ग्राम पंचायतों में भ्रष्टासुरों ने त्राहिमाम मचा हुआ है। कानून अँधा, जनता गूंगा और प्रशासन बहरा हो चला हैं। इन तीनो के निकम्मेपन से भ्रष्टासुरों ने तांडव मचाया हुआ है। तमाम कोशिशों के बावजूद छटपटाहट में कुछ ऐसी भी आत्माएं हैं जिनके द्वारा इन निकम्मों और भ्रष्टासुरों से मुक्ति मार्ग के लिए त्राहिमाम गुंजायमान है।

गरियाबंद hct : जिला के प्रथम जनपद पंचायत देवभोग क्षेत्र के तहत ग्राम पंचायत धौराकोट में भ्रष्टासुरों की त्राहि-त्राहि से जुडी कुछ ऐसी ही आत्माओं के बीच त्राहिमाम की आवाज गूंज रही है। यहाँ का ग्राम प्रधान, “भिकास” के मद में आती हुई धनराशि से मदमस्त हो चला और इसी चाहत में उसने उक्त धनराशि का मार्ग अपनी कोठी की तरफ मोड़ दिया। कहने का तात्पर्य यह कि सारा ‘भिकास’ सरपंच ओंकार लाल सिन्हा की चौखट को लांघकर गांव की गलियों में गम्मत करने लगा।

ग्रामीणों का आरोप 

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि धौराकोट के मुखिया अपने परिजन के नाम से गांव में एक दुकान “शिवम ट्रेडर्स” का सञ्चालन करता हैं; जहाँ से एक सुनियोजित योजना के तहत सचिव वरूण माझी और रोजगार सहायक तुलाराम नागेश की मिलीभगत से बीते वर्ष 2015 से अब तक इस संस्थान के मार्फ़त फर्जी बिल व्हाउचर लगाकर करोड़ो का वारा न्यारा कर दिया है।

बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह 

ग्रामीणों ने रोजगार सहायक तुलाराम नागेश पर यह भी आरोप लगाया है कि उसने उपसरपंच वासु नागेश, पिता अभिमन्यु नागेश के नाम से मनरेगा योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यों मे 72 दिवस का रोजी चढ़ाया है, जिसका जॉब कार्ड नं. 426 है। इतना ही नहीं बल्कि दीगर हितग्राही के नाम से फर्जी मास्टर रोल बनाकर पेश किया गया है जिनका जॉबकार्ड नं. 416. 366, 94, 538, 161, 299, 399, 406, 215. 433 है। इसी प्रकार अनेक ग्रामीणों एवं पंचों का मास्टर रोल में फजी नाम चढ़ाकर शासकीय राशि का आहरण – गबन किया गया है।

 न्याय की गुहार 

उक्ताशय को लेकर शिकायतकर्ता ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से लेकर विभागीय एवं गृह मंत्री विजय शर्मा और कलेक्टर से लेकर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के नाम अनुविभागीय अधिकारी, (राजस्व) देवभोग को एक शिकायत (ज्ञापन) सौंपा है। विषयान्तर्गत है कि पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत कार्यवाही किए जाने का उल्लेख है।

उल्टे पांव वापस लौटे तहसीलदार 


करोडो रुपए के घोटाले की जांच में आए हुए जांच कर्ता के सामने ही जब दोनों पक्ष लड़ भिड़े तो वापस लौटे अफसर। कथित घोटाला को लेकर ग्राम के दीपक साहू व अन्य ग्रामवासियों के द्वारा दिए गए शिकायत के आधार पर तहसीलदार और उनकी टीम ग्राम पंचायत में आकर जैसे ही जांच शुरू किए दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए, मामला बिगड़ने से पहले अप्रिय घटना के अंदेशा से तहसीलदार व उनके टीम बिना जांच किए ही वापस लौट गए।

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