मलेरिया और टीबी शाखा से डाटा चोरी, करोड़ों का था हिसाब-किताब
मंगलावर की रात चोरों ने इस कंप्यूटर को पार कर दिया। लगातार हो रही चोरियों से विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर भी शक की सुई घूम रही है। क्योंकि महत्वपूर्ण डाटा वाली कंप्यूटर ही अब तक चोरी हुई है। दबी जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि गड़बड़ी को छिपाने के लिए चोरी की मनगढंत कहानी रची जा रही है।
बीते तीन माह के भीतर लगातार कंप्यूटर सेट हो रहे पार
मंगलवार की देर रात फिर से चोरी की वारदात आई सामने
कंप्यूटर में मलेरिया नियंत्रण पर होने वाले खर्च का ब्यौरा भी था।
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। स्वास्थ्य विभाग परिसर में संचालित मलेरिया और टीबी उन्नमूलन शाखा में बीते तीन माह के भीतर कंप्यूटर, सीपीयू समेत अन्य डाटा की चोरी हो गई है। मलेरिया शाखा की कंप्यूटर में मलेरिया के आंकड़े, मलेरिया उन्नमूलन में खर्च की गई करोड़ों रुपये की राशि का हिसाब-किताब दर्ज था।स्वास्थ्य विभाग परिसर स्थित मलेरिया शाखा में मंगलवार की रात पीछे का ताला तोड़कर दिया गया और मलेरिश शाखा के कमरे का स्लाइडर तोड़कर वहां पर रखे कम्प्यूटर सेट पार कर दिया गया। इस कंम्प्यूटर को मलेरिया विभाग की प्रभारी कृष्णा कुमारी चलाती हैं। इसमें वे मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत होने वाले कार्यों का लेखा-जोखा रखती थी। साथ ही मलेरिया नियंत्रण पर होने वाले खर्च का ब्यौरा भी था।
जानकारी के मुताबिक इस कंम्प्यूटर में 15 साल का रिकार्ड था। वही अब यह कोई षड़यंत्र है या फिर वास्तविक में चोरी की घटना है, यह तो जांच का विषय है। हालांकि इसकी शिकायत सरकंडा पुलिस से की गई है। पुलिस ने मामले को जांच के दायरे में लिया है। कम्प्यूटर मानिटर, सीपीयू, माउस के साथ की बोर्ड गायब है। खास बात यह है कि अन्य चीजों को हाथ तक नहीं लगाया है। ऐसा में इस बात की आशंका है कि जिम्मेदार ही बड़ी गड़बड़ी छिपाने के लिए चोरी की मनगढ़ंत कहानी रच रहे हैं, जो जांच का विषय है।
सीएमचओ पहुंचे एसपी के पास, की शिकायत
सीएमएचओ डा़ प्रभात श्रीवास्तव को जब इस घटान की जानकारी मिली तो उन्होंने इस मामले की बारीकी से जांच करने के लिए एसपी रजनेश सिंह से मुलाकात की और बताया कि लगातार कंम्प्यूटर चोरी की घटनाएं हो रही है। इसमें महत्वपूर्ण डाटा थे। सीपीयू के नहीं होने से रिकार्ड भी खत्म हो रहे हैं, ऐसे में मामले की जांच की जाए और चोरों को पकड़ा जाए।
हर माह आता है लाखों का फंड
मलेरिया उन्मूलन के लिए शासन स्तर पर बड़ा फंड मिलता है। हर माह लाखों रुपये खर्च होता है। दवा बांटे जाते हैं, इलाज की व्यवस्था की जाती है, आवश्यक दवाओं के छिड़काव के लिए पैसे आते हैं। वहीं मच्छरदानी बांटे जाते है, इस तरह के कई काम होते है, ताकि मलेरिया को खत्म किया जा सके, लेकिन मलेरिया विभाग इन बातों को कभी सार्वजनिक नहीं करता है, सिर्फ फाइलों में यह काम होते हुए नजर आता है। इसके बाद भी मलेरिया के मामलों में कमी नहीं आ रही है।
गड़बड़ी के लग चुके हैं आरोप
मलेरिया विभाग हमेशा से विवादों में रहा है। इस डिपार्टमेंट में कई बार गड़बड़ी के आरोप लग चुके हैं। मामला भी चला है, लेकिन कभी गड़बड़ी सामने नहीं आ सकी है। इस बार भी अंदेशा है कि किसी बड़ी गड़बड़ी को छिपाने के लिए चोरी हो जाने की कुटरचना रची गई है, ताकि सभी सबूत नष्ट हो जाए।
कुष्ठ उन्मूलन का लेखाजोखा भी गया
मलेरिया विभाग की जो कम्प्यूटर चोरी हुई है, उसमे मलेरिया के साथ ही कुष्ठ रोग संबंधी में सभी डाटा थे। इसके अलावा डेंगू और हाथी पांव बीमारी के डाटा और इसके उपचार के लिए किए गए कार्यों का ब्यौरा भी था। बाक्स 30 अगस्त को टीबी से संबंधित डाटा चोरी हुई बीते 30 आगस्त को भी कम्प्यूटर की चोरी हुई थी। यह कम्प्यूटर जिला क्षय रोग अधिकारी डा़ गायत्री बांधी के कक्ष में रखा था। इसका संचालन कर्मचारी आशीष सिंह करते थे। इसमें टीबी उन्मूलन कार्यक्रम व संचालित योजानाओं के साथ खर्च की जाने वाली राशि का लेखा-जोखा था। चोरी के संबंध में बताया गया कि चोर बकायदा चाबी लेकर आया था और ताला खोलकर कक्ष में घूसा और कम्प्यूटर, सीपीयू व अन्य सामान लेकर चला गया। यह मामला भी संदेह के दायरे में आता है।
आसानी से नहीं मिलती है इस विभाग में कोई भी जानकारी
मलेरिया विभाग में आसानी से कोई भी जानकारी नहीं दी जाती है। योजनाओं के संबंध में जानकारी मिलना यहां संभव नहीं होता है। मलेरिया के कितने मरीज मिले हैं, कितनों का इलाज किया गया है, यह बताना भी लाजमी नहीं समझा जाता है। सीधे कह दिया जाता है कि सीएमएचओ का आदेश है, यहां की कोई भी जानकारी किसी को नहीं दी जाए स्थिति इतना अधिक खराब है कि लगातार मलेरिया व डेंगू के मरीज मिल रहे हैं, उनकी भी जानकारी देने से बचते हैं, जबकि जानकारी लगने से लोग जागरूक होते हैं और बीमारी के प्रति सावधान होते हैं।