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76 हजार 215 निवेशकों को चिटफंड कंपनियों से राशि वापसी का इंतजार

जिले में 223 चिटफंड कंपनी संचालित थी इन कंपनियों में 12 वीं पास लोग भी एरिया मैनेजर और ब्रांच मैनेजर जैसे बड़े-बड़े पदों पर थे। इनके साथ 100 से 150 तो किसी कंपनी में 500 तक एजेंट काम करते थे। इनका काम केवल लोगों को झांसे में लेकर ठगना रहता था। बदले में एजेंटों को 25 प्रतिशत कमीशन और अधिकारियों को अच्छा खासा वेतन भी मिलता था।

HIGHLIGHTS

  1. 223 चिटफंड कंपनियों में डूबे जिलेवासियों के दो अरब 17 करोड़ रुपये
  2. एक कंपनी की संपत्ति नीलाम कर निवेशकों को लौटाए 45 लाख रुपये
  3. बीते समय में जिले में ब्रांच और एरिया मैनेजरों की आ गई थी बाढ़

 जांजगीर- चांपा : राज्य में नई सरकार बदलने के बाद चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वालों की उम्मीद फिर एक बार जगी है। जिले के 76 हजार 215 निवेशकों ने 223 चिटफंड कंपनियों में 2 अरब 17 करोड़ 40 लाख 70027 रूपए निवेश किया है। इनमें से मात्र एक कंपनी की संपत्ति निलाम कर निवेशकों को 45 लाख रूपए ही लौटाया गया है। जबकि अन्य निवेशकों को फूटी कौड़ी तक नहीं मिली है।

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन काल में चिटफंड कंपनियों ने जिलेवासियों को खूब लूटा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में 76215 निवेशकों से 223 चिटफंड कंपनियों ने 2 अरब 17 करोड़ 40 लाख 70027 रूपए निवेश किया था और ये राशि डूब गई। ज्यादातर चिटफंड कंपनियों के कार्यालय बंद हो गए मगर निवेशकों को उनकी राशि नहीं मिली। उनके द्वारा थाने से लेकर न्यायालय तक का चक्कर भी लगाया गया।

लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। वर्ष 2018 में जब कांग्रेस सरकार बनी तो सरकार ने चिटफंड कंपनियों में डूबे रकम को वापस दिलाने के लिए आवेदन मंगाया। 1 जनवरी 2019 से 15 फरवरी 2023 तक पीड़ितों ने आवेदन जमा किया। तहसील कार्यालयों में निवेशकों की भीड़ लगी और देखते ही देखते 76215 निवेशकों ने आवेदन दिया ।

मगर राशि लौटाने के नाम पर सिर्फ विनायक होम्स रियल स्टेट लिमिटेड की 45 लाख की संपत्ति 16 अप्रैल 2023 को नीलाम की गई और उसके निवेशकों को यह राशि लौटाई गई। महज एक मात्र कंपनी की संपत्ति निलाम हुई जबकि 222 कंपनियों की संपत्ति की नीलामी नहीं हुई है। ज्यादातर कंपनियों की संपत्ति इस जिले में है ही नहीं यह जिला तो दूर इस प्रदेश में भी बहुतायत चिटफंड कंपनियों की संपत्ति नहीं है। ऐसे में सरकार कार्रवाई करे भी तो किस पर करे। इसके कारण चिटफंड में डूबी राशि की वसूली कठिन काम है।

नीलामी की कुछ कार्रवाई प्रक्रियाधीन

गरिमा होम्स एंड रियल स्टेट एलाईट कंपनी की संपत्ति की नीलामी के लिए विशेष न्यायालय जांजगीर ने16 फरवरी 2023 को अंतिम आदेश पारित किया है। कुर्की की कार्रवाई अभी लंबित है जबकि आधा दर्जन अन्य कंपनियों की संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई जिले के अलावा बेमेतरा, कोरबा के न्यायालयों में लंबित हैं।

भाजपा के घोषणा पत्र में भी रकम वापसी का वादा

भाजपा के घोषणा पत्र में भी यह उल्लेख किया गया है कि प्रदेशवासियों की जाली चिटफंड में फंसी राशि की पांच सालों के अंदर वापसी सुनिश्चित करेंगे। इसको लेकर निवेशकों की उम्मीद फिर एक बार जगी है। निवेशक और चिटफंड कंपनी के एजेंटों ने पहले से ही संगठन बना लिया है और वे भी राशि वापसी के लिए धरना प्रदर्शन कर मांग करते रहते हैं। कांग्रेस के शासन काल में राशि वापसी की शुरूवात तो हुई मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।

एजेंटों ने अपनों को ठगा

जब जिले में चिटफंड कंपनियां संचालित हो रही थी । उस समय एजेंट टाई कोट पहनकर गांव-गांव घूमते थे और लोगों को 2 से 3 साल में राशि दोगुना करने का झांसा देकर लोगों को ठगा। ठगी के जो शिकार हुए उनमें से ज्यादातर एजेंटों के करीबी रिश्तेदार, मित्र और जान- पहचान के लोग ही थे। एजेंटों को राशि जमा कराने पर सीधा 25 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। एजेंट यह राशि चिटफंड कंपनियों में जमा करने से पहले अपना कमीशन काट लेते थे। चिटफंड कंपनियों के काले कारोबार में एजेंट भी लाल हो गए मगर निवेशक कही के नहीं रहे।

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