आबादी 2.5 करोड़। होम क्वारंटाइन 77000 ! टेस्ट 2300…!!
*भरत सोनी।
कोरोना महामारी को लेकर सम्पूर्ण देश तालाबंदी पर है।
लॉक डाउन को 15 दिन हो चुके हैं किंतु राज्य के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से दिए गए बयान ने हतप्रभ कर रखा है। जहाँ एक ओर मुख्यमंत्री श्री बघेल के प्रयास तथा स्वास्थ्य व सुरक्षा कर्मियों की मेहनत ने छत्तीसगढ़ का नाम 90% परिणाम देकर शीर्ष पर रखा, वहीं जिस बाबा के नेतृत्व पर स्वास्थ्य सुविधा चल रही है उन्होंने दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से अपनी तालाबंदी तोड़ते हुए जिस तथ्यों का उजागर किया है उससे हतप्रभ होना आश्चर्य की बात नहीं। जहां छत्तीसगढ़ का नाम देश और विदेश में चर्चित हो रहा है, वहां होम क्वारंटाइन 77000 ! टेस्ट 2300…!!
है, ना चौकाने वाला आंकड़ा ? जानकारी के अनुसार राजा साहब लॉक डाउन प्रारंभ होने के समय मुंबई प्रवास (महाराष्ट्र की यात्रा) पर थे, लॉक डाउन की अवधि में महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ आए और खुद को आइसोलेट कर लिया। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सभी देशवासियों से आह्वान था कि लॉक डाउन के दौरान जो जहाँ पर है, वहीं पर रहे। राज्य में कोरोना महामारी का प्रकोप, महाराष्ट्र में; जहाँ कोरोना ने विध्वंस फैला रखा है, लॉक डाउन पार कर छत्तीसगढ़ राज्य कैसे आये ! ये तो वही बता सकते हैं। जबकि आम आदमी को तो अपनी जरूरत की वस्तुओं को लेने के लिए भी लाठियां खानी पड़ रही हैं।
मंत्री जी, जब लॉक डाउन की अवधि समाप्त होने वाली है, दो सप्ताह बीतने के बाद नया समाचार लेकर आ रहे हैं कहते हैं कि; रेपिड किट की खरीदी की जा रही है। अब मात्र आधा घंटे में टेस्ट हो सकता है। मंत्री जी के अनुसार 77000 लोग होम कोरेण्टाइन में है जबकि इन 16 दिनों में मात्र 2300 लोगों की जांच ही संभव हो पाई है ! जिससे स्वास्थ्य मंत्री का अपने कार्य के प्रति जवाबदेही तय होती है।
2.5 करोड़ जनसंख्या वाले छत्तीसगढ़ में इन गंभीर बीमारी की जांच केवल दो लैब में हो रही है। इन 16 दिनों में स्वास्थ्य मंत्री यदि और थोड़ा प्रयास करते तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस महामारी का व्यापक पैमाने में टेस्ट हो सकते थे। जानकारी के अनुसार अभी भी विदेश से लौटने वालों की जाँच बची है। अभी सिर्फ लंदन वालों की ही जांच हो पायी है; अन्य देशों से आए लोग व अन्य प्रदेश, जिला, ग्रामीण इलाकों के लोग जांच से वंचित हैं। यदि स्वास्थ्य मंत्री इसी प्रकार कार्य करते रहे तो राज्य की मासूम जनता को मिलेगा… लॉक डाउन, लॉक डाउन और सिर्फ लॉक डाउन।
आखिर कब तक आम आदमी लॉक डाउन और क्वारंटाइन के फेर में रहेगा जबकि शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाकर राज्य के सभी जिला व तहसील क्षेत्रों सहित ग्राम पंचायतों तक विस्तार कर अधिक से अधिक कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों की जांच कर उपचार किया जाना चाहिए ताकि इस गंभीर महामारी से ज्यादा से ज्यादा लोगों का बचाव हो सके; किन्तु स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार राज्य में कोरोना संक्रमण की संभावना को बढने व आम जिंदगी का प्रभावित होना संभाव्य है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक न ही छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े हॉस्पिटल मेकाहारा में टेस्ट की सुविधा उपलब्ध करवा पाई न ही राज्य के सभी जिला, तहसील स्तर के अस्पतालों में। स्वास्थ्य मंत्री जी इस समस्या का समाधान लॉक डाउन ही नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करते हुए कोरोना संक्रमण की जांच व उपचार की आवश्यकता है।
एक दैनिक पत्र के अनुसार छत्तीसगढ़ में 75% से अधिक लोंगो के क्वारंटाइन में रहते हुए 28 दिन इसी महीने (अप्रेल) में पूरे होंगे, जो कि चिन्ताजनक है, ना जाने कब इनकी जांच होगी और कब इनका उपचार होगा ? मामले की गंभीरता व वास्तविक स्थिति तब ज्ञात होती जब लॉक डाउन के 21 दिनों में सभी संदेही संक्रमित व्यक्तियों की जाँच हो जाती, उपचार होता। लेकिन पता नहीं हमारे स्वास्थ्य मंत्री को कब मासूम छत्तीसगढ़ियों की चिंता होगी। 77000 लोगों को सिर्फ संभावनाओं के आधार पर क्वारंटाइन में रखा जाना उचित है कि उचित जांच व उपचार किया जाना ?
एक ओर जहाँ इस लॉक डाउन में आम जनता को सामान्य चिकित्सा भी प्राप्त नहीं हो पा रही है और हम बात कर रहे हैं कोरोना से लड़ने की। घोषणावीर जनप्रतिनिधियों को आम जनता की समस्याओं का आभास नहीं, यदि होता तो लॉक डाउन के इन 16 दिनों में राज्य में उक्त टेस्ट के आंकड़ों में वृद्धि होती। जहाँ आम जन जीवन गरीबी, बेरोजगारी व कल के भविष्य से चिन्ताग्रस्त हैं वहीं हमारे राजा इस गंभीर समस्या को लेते हुए लॉक डाउन को और बढ़ाने की पैरवी कर रहे हैं…!
यदि स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार कर शीघ्रातिशीघ्र टेस्ट व उपचार सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी तो लॉक डाउन आम जनता के लिए प्रताड़ना से कम नहीं होगा। एक ओर भय, भूख, बेरोजगारी दूसरी ओर सुरक्षा के नाम पर इलाज नहीं लाठी और लॉकडाउन !
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