बालोद। कहते है तालाब शहर के इकोलाजी को संतुलित रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे न केवल जमीन में जल स्तर बना रहता है, बल्कि जीव-जंतुओं का संतुलन भी बना रहता है। लेकिन बालोद शहर में एक ऐसा तालाब भी देखा जा सकता है जहाँ तैरती मिलती है शराब की बोतलें, डिस्पोजल ग्लास और प्लास्टिक का कचरा ! बालोद नगरपालिका क्षेत्र के इस कुंदरूपारा तालाब की दशा देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि, नगरपालिका का प्रशासन प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण, इकोलॉजी और जल स्तर बनाए रखने को लेकर कितनी गंभीर है। जिला योजना समिति के सदस्य नितेश वर्मा ने आरोप लगाते हुवे बताया कि, नगरपालिका की उदासीनता के कारण यह तालाब अपने मूल आस्तित्व को खोता नजर आ रहा है। कुंदरूपारा के तालाब के लिए निकाय प्रशासन न तो कोई इंतजाम कर पाया है और न ही इसे सहेजने के प्रयास होते दिख रहे है।
इधर शराब की तैरती बोतल, उधर स्नान
तालाब में एक ओर पानी में तैरती शराब की बोतलें, डिस्पोजल ग्लास और प्लास्टिक कचरा नजर आता है तो दूसरी ओर लोग स्नान करते नजर आते हैं। कुंदरूपारा का यह तालाब सालों से लोगों के स्नान, ध्यान के लिए उपयोगी रहा हैं। आज भी मोहल्ले के अलावा आस-पास मोहल्ले के लोग इस तालाब में स्नान करने के लिए आते हैं।
तालाब बना मयखाना, अंधेरा में जमकर छलकता है जाम
मंदिरा प्रेमियों ने कुंदरूपारा के इस तालाब को मयखाना बना रखा है। अंधेरा होते ही छलकने शराब के जाम छलकने लगते है। तालाब में शराब की बोतल और डिस्पोजल ग्लास फेकने से पानी प्रदूषित हो रहा है। पानी के अलावा तालाबपार में भी बड़ी मात्रा में शराब की बोतलें और प्लास्टिक कचरा पड़ा हुवा है।
कचरे के ढेर पर तालाब, गंदगी लबालब
कुंदरूपारा, आमापारा, शिकारीपारा के अलावा और अन्य मोहल्लों के निस्तारी के काम आने वाला यह तालाब कचरे के ढेर पर दिखाई पड़ता है। यदि यही हालात रहे तो कुछ सालों में तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। कभी भी कोई गंभीर बीमारी पैर पसार सकती है।
एक तालाब बार बार, बाकी तालाब नमस्कार
सदस्य और पार्षद नितेश वर्मा ने आरोप लगाते हुवे कहा कि, नगरपालिका के वर्तमान 4 साल 6 माह के कार्यकाल में निकाय प्रशासन द्वारा एकमात्र तालाब पर लाखों रुपए खर्च किये गए शहर के अन्य तालाबों को दरकिनार किया गया। जिसके चलते शहर के बाकी तालाब अपना अस्तित्व बचाने सफाई और अन्य विकास कार्यो की बाट जोह रहे है।