Crime
रायसेन की डिस्टलरी से बाल श्रमिकों को ‘गायब’ करने वालों पर चार माह बाद एफआइआर दर्ज
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की अगुआई में टीम ने 15 जून को रायसेन के सेहतगंज में स्थित सोम डिस्टलरीज पर छापामार कार्रवाई करते हुए बाल श्रमिकों को मुक्त कराया था। तब आरोप लगे थे कि कार्रवाई में व्यवधान डालकर कुछ बच्चों को गायब भी कर दिया गया। इस मामले में पुलिस ने अब अज्ञात आरोपितों पर एफआईआर दर्ज की है।
HIGHLIGHTS
- सोम डिस्टलरीज में बच्चों से करवाया जा रहा था काम।
- शराब फैक्ट्री में काम की वजह से बच्चों के हाथों में पड़ गए थे छाले।
- बाल आयोग की टीम ने 39 बालक, 20 बालिकाओं को मुक्त कराया था।
भोपाल। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम द्वारा रायसेन जिले में सोम डिस्टलरी से बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के दौरान बाधा डालकर बच्चों को साथ ले जाने वाले अज्ञात लोगों पर चार माह बाद एफआइआर दर्ज की ली गई। रायसेन जिला श्रम अधिकारी द्वारा थाना उमरावगंज में शिकायत की गई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।
बाल आयोग की टीम ने दी थी औचक दबिश
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को बचपन बचाओ आंदोलन नाम के एक एनजीओ से शिकायत मिली थी कि सोम डिस्टलरी में कई नाबालिग बच्चों से शराब बनवाई जा रही है। इसके बाद राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो और उनकी टीम ने 15 जून को रायसेन जिले के सेहतगंज में स्थित इस सोम डिस्टलरीज का औचक निरीक्षण किया था। टीम डिस्टलरी में पहुंची तो वहां 39 बालक और 20 बालिकाएं मजदूरी करते देखे गए। बच्चों को स्कूल बस से फैक्ट्री में काम कराने के लिए लाया जाता था। इन बच्चों के हाथों में छाले पड़ गए थे।
जिला प्रशासन पर भी उठे थे सवाल
इस दौरान बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जिला प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठाए थे और डिस्टलरी पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा था। आयोग का आरोप था कि जिला प्रशासन ने अंधेरा होने का इंतजार कर फैक्ट्री में पकड़े गए नाबालिग बच्चों को गायब करा दिया। एक माह बाद रायसेन में बाल श्रमिकों से काम कराने पर सोम डिस्टलरीज का लाइसेंस भी निलंबित कर दिया गया था।
एसपी ने बाल आयोग अध्यक्ष को लिखा पत्र
इस पूरे मामले में उमरावगंज थाना पुलिस ने पहले ही एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। वहीं, कार्रवाई में व्यवधान डालकर बच्चों को ले जाने वाले अज्ञात लोगों के विरुद्ध भी चार माह बाद एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। रायसेन के एसपी ने इस पूरी कार्रवाई से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पत्र लिखकर अवगत कराया है।