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हथियारों की तस्करी में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का नाम आया, सुनवाई के बाद कोर्ट ने जारी किया था स्थायी गिरफ्तारी वारंट

कोर्ट में एक हथियार तस्‍करी का ऐसा मामला सामने आया जिसमें आरोपितों में बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद यादव का भी नाम था। हालांकि पहले इस मामले में भ्रम की स्‍थति बनी रही कि नाम मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद का है या किसी और का। लेकिन बाद में स्‍थति साफ हुई कि राजद नेता व पूर्व मुख्‍यमंत्री का नाम ही है। न्‍यायालय ने उनके नाम से स्‍थायी वारंट जारी कियाहै।

HIGHLIGHTS

  1. हथियारों की तस्करी के मामले में आया था लालू प्रसाद यादव का नाम
  2. कोर्ट ने जारी किया लालू प्रसाद यादव के खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट
  3. लालू प्रसाद यादव पर था हथियार और कारतूस खरीदने का आरोप

ग्वालियर। अभी तक कई मामलों में कोर्ट में पैरवी की है लेकिन वर्तमान में एमपी-एमएलए कोर्ट में पैरवी कर रहा हूं। यहां कई मामले लगते हैं जिनमें शासन का पक्ष मजबूती से रखना होता है। हाल ही में हथियारों की तस्करी का एक ऐसा मामला कोर्ट में आया जो मेरी स्मृति में बस गया। एक ऐसा मामला था जिसमें शुरू में आरोपित के नाम से यह तय नहीं हो पा रहा था कि वह कोई साधारण व्यक्ति है या कोई राजनेता।

पुलिस के पंचनामें में जिक्र था, पर स्थिति भ्रामक थी। लेकिन जब वह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में आया तब पता चला कि मामले में आरोपित बिहार के जाने माने नेता लालू प्रसाद यादव हैं। यह बात एमपीएमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक अभिषेक महरोत्रा ने अपना यादगार मुकदमा साझा करते हुए कही।

उन्होंने बताया कि मामला हथियारों की खरीद फरोख्त का है और लगभग 26 साल पुराना है। इस मामले में बीती सुनवाई में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट भी जारी किए जा चुके हैं। उन पर अवैध तरीके से हथियार और कारतूस खरीदने का आरोप है।

केस को ऐसे समझें

  • उत्तर प्रदेश के महोबा स्थित आर्म्स स्टोर के संचालक राजकुमार शर्मा ने हथियार बिक्री का फर्जीवाड़ा किया था, जिसमें ग्वालियर निवासी व प्रकाश आर्म्स स्टोर के संचालक प्रवेश कुमार चतुर्वेदी ने वर्ष 1997 में इंदरगंज थाने में इस बारे में शिकायत देते हुए बताया कि राजकुमार शर्मा ने ग्वालियर फर्म से हथियार व कारतूस खरीदे थे और उन्हें बिहार में बेचा था। पुलिस ने उसकी शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया था।
  • कोर्ट में पेश किए गए चालान में कुल 23 आरोपित बनाए गए थे, जिसमें बिहार के लालू प्रसाद यादव का भी नाम शामिल है। हालांकि अब तक इस मामले में पुलिस ने लालू प्रसाद यादव को पकड़ा नहीं है। बता दें कि यह फर्जीवाड़ा 23 अगस्त 1995 से 15 मई 1997 तक चलता रहा। इस दौरान दो आरोपितों की मौत भी हो गई है, इसमें 14 आरोपित फरार हैं।

नाम को लेकर हुई भ्रामक स्थिति

  • अधिवक्ता बताते हैं कि इस मामले में लालू प्रसाद यादव आरोपित हैं तो लेकिन वह राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हैं या कोई अन्य इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। न्यायालय के रिकार्ड से इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी। दस्तावेजों के अनुसार आरोपित लालू प्रसाद के पिता के नाम को लेकर भी कोई स्पष्ट तथ्य नहीं था। लेकिन पुलिस का दावा है कि आरोपित लालू प्रसाद यादव कोई और नहीं बल्कि राजद नेता ही हैं।
  • इसी आधार पर उन्हें आरोपित बनाया और गिरफ्तारी वारंट जारी किये गए हैं। पुलिस ने अपनी पूरी जांच पड़ताल के बाद ही लालू प्रसाद यादव को आरोपित बनाया है। इसके बाद यह केस अन्य कोर्ट से एमपी-एमएलए कोर्ट को स्थानांतरित हुआ। अब उन्हें स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर न्यायालय ने तलब किया है।

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