गरियाबंद। जिले में मजदूरो की स्थिति विचारणीय होती जा रही है। पिछले कई दिनो से मैनपुर व छुरा विकास खण्डो से सैकडो की संख्या में मजदुरो के पलायन खबरे आ रही है, वही दुसरी ओर आज विकासखण्ड फिंगेश्वर के 100 से अधिक मजदुरो ने जिला मुख्यालय पहुंच कलेक्टर से काम की मांग की, ग्राम जोगीडिपा , छुहिया , चरौदा , बोडकी, जमाही, फुलझर के ग्रामीण मजदुर चरण सिन्हा , किस्मत सिन्हा, हेमुराम यादव, धनीराम यादव, अभय राम, ताराचंद, तुलसराम, थानुराम, दिनेश साहु, आदि ने दुर्गा प्रसाद सिन्हा, के नेतृत्व में जिलाधिश महोदय को ज्ञापन सोैपते हुऐ धान संग्रहण केन्द्र कुण्डेल भाटा में मजदुरी की मांग की। ग्रामीण मजदुरो के अनुसार हम सभी कुण्डेल के आसपास के निवासी हैं, इस धान संग्रहण केन्द्र में इस समय 41 मजदुरो (हमाल) की टोली काम कर रही है जबकि यहां पहले 51 टोली काम करती थी , वर्तमान में इस केन्द्र में कम मजदुर रखे जाने के कारण आस पास के ग्रामीण मजदुर बेरोजगार हो गये है। इस संबंध में कलेक्टर श्याम धावडे ने जिला विपणन अधिकारी भौमिक बघेल को आवश्यक दिशा निर्देश दिये है।
पलायन जारी आहे –
जिले से मजदुरो का पलायन जारी है , विदित हो कि करीब एक पखवाडे पुर्व ही छुरा विकासखण्ड के ग्राम डांगनबाय के 31 मजदुरो को तेलंगाना में बंधक बना लिया गया था, जिन्हें जिला प्रशासन की पहल पर तेलंगाना के पैदापल्ली गंाव से छुडाया गया था। हाल 20 दिसंबर को भी जिला प्रशासन द्वारा अधिकारीयों कर्मचारीयों की टीम पुनः तेलंगाना भेजी गयी है, जानकारी के अनुसार मैनपुर विकासखण्ड के ग्राम कुल्हाडी घाट के 143 श्रमिक अब भी तेलंगाना में बंधक है, समाचार लिखे जाने तक इस टीम के लौटने की जानकारी प्राप्त नही हुई है। श्रमिको की विमुक्ति के लिये गयी इस टीम में राजस्व , महिला बाल विकास विभाग , श्रम निरीक्षक , उपनिरीक्षक पुलिस सहित ग्राम पंचायत कुल्हाडी घाट के सचिव प्रेमलाल ध्रुव भी शामिल है।
मनरेगा से भी दूर नही हो रही समस्या –
श्रम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 37283 संगठित (भवन निर्माण) तथापि 28949 अंसंगठित मजदुर पंजीकृत है। शासन द्वारा श्रमिको के हित में चलायी जा रही अनेको हितग्राही मुलक योजनाओं के बावजुद श्रमिको की समस्याऐं सुलझ नही पा रही है। जिम्मेदार अधिकारीयों के अनुसार दुगुनी मजदुरी के लालच में तथा बहकावे में आकर कही कही मजदुर पलायन कर जाते है। साथ ही जिले में उद्योगो की कमी की वजह से भी लोगो को पर्याप्त रोजगार नही मिल पाता , केन्द्र शासन द्वारा संचालित मनरेगा से भी मजदुर संतुष्ट नही है ऐसा लगता है। प्रायः देखा गया है कि मनरेगा मजदुरी का भुगतान काफी विलंब से हो पाता है, जिससे रोज कमाने खाने वाले मजदुर की परिस्थिति विषम हो उठती है। वैसे भी किसी विचारक ने कहा है कि मजदुर का पसीना सुखने के पहले मजुदरी उसके हाथ में दे दी जानी चाहिये, किंतु फिलवक्त में प्रेक्टकली ऐसा हो पाना संभव नही है, खासकर शासकीय कार्यो में ।
जिला पंचायत के मनरेगा अधिकारी बुधेश्वर साहु के अनुसार जिले में मजदुरो का भुगतान बराबर हो रहा है, एफटीओ हो रहा है, और मजदुरो के खाते में भुगतान पहुंच रहा है। जिले में 133 करोड रूपय के मनरेगा कार्यो की स्वीकृति है तदानुसार प्रत्येक ग्राम पंचायतो के साथ साथ आश्रित ग्रामो में भी योजना के तह्त रोजगार मुलक कार्य संचालित है, जिसके तह्त भुमि सुधार , डबरी निर्माण साथ ही नये तलाबो का निर्माण किया जा रहा है। कई बार मनरेगा के कार्य गुणवत्ता पुर्ण नही होने अथवा निश्चित पैमाने पर नही किये जाने की वजह से मजदुरो की मजदुरी प्रभावित होती हैै। तकनीकि सहायको द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर कार्यो का मुल्यांकन किया जाता है , मुल्यांकन कम आने से मजदुरो को भुगतान भी कम प्राप्त होता है जिससे मजदुरों में हताशा उत्पन्न होती है।