ChhattisgarhCrime
चतुर्थ श्रेणी में पदस्थ एक कर्मी ने अधिकारियों को दिखाई उनकी औकात।
।।रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।।
।।जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।
अमूमन छोटे कर्मचारी ईमानदार होने के बावजूद अपने दफ्तर में चल रहे बेईमानी के खेल को इसलिए बर्दास्त करते रहते हैं। क्योंकि वो बड़े अधिकारी की खिलाफत कर अपने लिए मुसीबत खड़ी करना नहीं चाहते। अक्सर देखा जाता है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा तभी मिलता है; जब लोग सब कुछ देखकर भी खामोश रह जाते हैं, लेकिन अम्बिकापुर में इस भृत्य की हिम्मत ने समूचे विभाग में हड़कंप मचा दिया है..।
सहायक संचालक व मानचित्रकार पर 420 का मामला हुआ दर्ज।
नही हुई गिरफ्तारी…?
अंबिकापुर। टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग कार्यालय में लम्बे समय से चल रहे मद परिवर्तन के खेल का खुलासा होने के बाद जिले भर में हड़कंप मचा हुआ है। पुलिस; अब तक सहायक संचालक और मानचित्रकार की गिरफ्तारी नहीं कर सकी है। इधर बुधवार को शिकायतकर्ता भृत्य ने अधिकारियों द्वारा किए गए गड़बड़ी से संबधित दस्तावेज पुलिस को सौपने के साथ ही अपना बयान दर्ज कराया है। पुलिस को दिए गए बयान के बाद नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में लम्बे समय से चल रही अनेकों गड़बड़ियां निकलकर सामने आ रही है। मद-परिवर्तन के साथ ही भवन नियमितीकरण की आड़ में अधिकारियों ने ऐसे भवनों को भी क्लीन चिट दे दिया है जिन पर वर्षों से “स्टे” लगाया गया था। इसके साथ ही आचार संहिता के दौरान भी बड़े पैमाने पर भवन नियमितीकरण किए जाने की बात सामने आ रही है।
फिलहाल पुलिस सभी मामलों की जांच कर रही है और जांच के बाद ही किसी प्रकार की गिरफ्तारी की बात कही जा रही है। इधर सहायक संचालक ने अपने ऊपर लगाए गए आरोप को निराधार बताया है।
गौरतलब है कि टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग कार्यालय में पदस्थ भृत्य संतोष खैरवार द्वारा मंगलवार को गांधीनगर थाने में शिकायत की गई थी कि, कार्यालय के सहायक संचालक नारायण सिंह ठाकुर व मानचित्रकार जागेश्वर दास जोशी द्वारा मद-परिवर्तन कर बड़े पैमाने पर जमीनों में हेराफेरी की जा रही है। शिकायत की जांच उपरांत पुलिस द्वारा दोनों अधिकारीयों के विरुद्ध धारा 120 बी, 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज किया था। नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय के सहायक संचालक व मानचित्रकार के खिलाफ अपराध दर्ज होने के बाद से जिले भर में हड़कंप मचा हुआ है। बुधवार की शाम शिकायतकर्ता भृत्य ने थाने में पहुंचकर पुनः अपना बयान दर्ज कराया है इसके साथ ही उनसे कुछ महत्वपर्ण दस्तावेज पुलिस को सौपे है। पुलिस को सौपे दस्तावेज के अनुसार रमेश चन्द्र चक्रधारी के कृषि भूमि खसरा क्रमांक 48/10 जो गंगापुर खुर्द में मौजुद है, उसे छुपाते हुए कुट रचना कर अवासीय भूमि लेख कर जानकारी दिया गया है। इसी प्रकार पुनम सिन्हा के नाम ग्राम फुन्दुरडिहारी में स्थित मेला मैदान भूमि को अवासीय भूमि होने का कुट रचना दिनांक 29 जुलाई 2015 के पत्र क्रमांक 1205 के माध्यम से किया गया है जिस स्थान पर भू उपयोग की जानकारी लिखी गई है, वह अन्य लिखावट से भिन्न है जिसे जगेश्वर दास जोशी ने लिखा है। बताया जा रहा है कि पुलिस की जांच में और भी कई बड़ी गड़बड़ियां सामने आ सकती है।
नामी बिल्डर से भी सांठ-गांठ
शिकायतकर्ता के अनुसार अधिकारीयों द्वारा भवन नियमितीकरण में भी लाखों रुपए लेकर बड़े पैमाने पर खेल किया जा रहा था। अधिकारीयों द्वारा जिला नियमितीकरण समिति द्वारा 16 जुलाई 2018 को तैयार किया नियमितीकरण प्रकरण की सूची में कुट रचना कर शहर के नामी बिल्डर व उनके लाभार्थी नामी व्यवसायी के अवैध बिल्डिंग को लाखो रुपए का लेन-देन कर निराकृत पूर्व सूची में अधिकारियों के आदेश में फेर-बदल करके कुट रचना करते हुए जोड दिया गया है; जबकि जोडे गये प्रकरणों को नियमितिकरण नहीं करने का निर्णय समिति द्वारा लिया गया था। इसके साथ ही फिलहाल आचार संहिता तक भवन नियमितीकरण पर शासन ने रोक लगा दिया था इसके बाद भी शहर में बड़े पैमाने पर भवन नियमितीकरण कर दिया गया है।
मास्टर प्लान का नक्सा बिगाड़ अपनी मनमानी
बताया जा रहा है कि शहर का जो मास्टर प्लान बनाया गया है वो वर्ष 2021 तक के लिए प्रभावी है। इस मास्टर प्लान में साफ़ दर्शाया गया है कि कौन सी जमीन कृषि भूमि है और कौन खेल मैदान व अन्य मदों की भूमि है। इन भूमियों के मद में परिवर्तन वर्ष 2021 के बाद ही आवेदन के आधार पर किया जा सकता था परन्तु अधिकारीयों ने अपनी मनमानी करते हुए खुद ही खेल मैदान और कृषि भूमि के मद में परिवर्तन कर दिए।
संतोष खैरवार शिकायतकर्ता भृत्य का कहना है कि – “मामले की शिकायत करने अधिकारीयों द्वारा उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही थी इसके साथ ही उसे भी प्रलोभन दिया जा रहा था कि वह अपनी शिकायत वापस ले ले। लेकिन उसने फाइलें पुलिस के सुपुर्द कर दी हैं।”
मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए गए है वो बेनियाद और निराधार है। हमारे ऑफिस में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई है। भृत्य ने ऐसा क्यों किया यह मेरी समझ से परे है और ऑफिस के सभी दस्तावेज की देख-रेख का जिम्मा भृत्य का है अगर उसने कोई हेर-फेर किया होगा तो मै कुछ नहीं कह सकता। पुराने प्रकरण में कुछ गड़बड़ी हुई है परन्तु वह हमारे यहाँ से नहीं हुई है।
नारायण सिंह ठाकुर, सहायक संचालक, नगर तथा ग्राम निवेश