छत्तीसगढ़ के चर्चित आईपीएस मुकेश गुप्ता पर ईओडब्ल्यु छत्तीसगढ़ ने किया एफआईआर।
रायपुर। आर्थिक विवादों में फंसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर मुकेश गुप्ता की परेशानियां कम नहीं हो रही है। एमजीएम आई हॉस्पिटल के आर्थिक मामलों को लेकर कल उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू में मुकदमा रजिस्टर हुआ है। मुकेश गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक से कर्ज लेने में अपने प्रभाव के उपयोग का किया साथ ही उन पर यह आरोप भी है कि अस्पताल के लिए राज्य शासन से बड़ा अनुदान लेकर उसे दूसरी बातों पर खर्च करने का आरोप भी है।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के प्रमुख, एडीजी जीपी सिंह ने यह जुर्म कायम करने की पुष्टि की है। एसीबी से मिली जानकारी के अनुसार यह मामला धारा 420, 406, 120 (बी), एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज हुआ है। इसमें मुकेश गुप्ता जो कि निलंबित चल रहे हैं, के अलावा उनके पिता जयदेव गुप्ता, जो कि मिकी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रधान ट्रस्टी हैं, और ट्रस्ट की ट्रस्टी एवं एमजीएन आई इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर डॉ. दीपशिखा अग्रवाल के खिलाफ अपराध कायम किया गया है।
एसीबी ने मामला दर्ज करते हुए लिखा है कि मुकेश गुप्ता के पिता जयदेव गुप्ता द्वारा अपने व मुकेश गुप्ता के करीबी लोगों को ट्रस्टी बनाते हुए इस ट्रस्ट का पंजीयन 2002 में कराया। इस ट्रस्ट की शर्तें इसे एक पारिवारिक कब्जे के एकाधिकार में रखने की बनाई गईं ट्रस्ट को आयकर छूट और विदेश से दान प्राप्त करने की छूट भी मिल गई थी।
संबंधित दस्तावेज जिसके आधार पर समाचार की पुष्टि होती है।
https://drive.google.com/file/d/1-H4fa515HITSx8O7m6Cq8z8qh-3pn3Sy/view?usp=drivesdk
मुकेश गुप्ता छत्तीसगढ़ राज्य के असरदार अफसर थे जो अप्रत्यक्ष रूप से इस ट्रस्ट को चलाते थे जो कि दस्तावेजों से प्रमाणित है। इस ट्रस्ट को अप्रत्याशित रूप से देश-विदेश से चंदा व दान मिलने लगा। ट्रस्ट ने सरकार के मांगने पर भी दानदाताओं की सूची और खाते की जानकारियां नहीं दीं। जुर्म कायम करते हुए एसीबी ने लिखा है कि मिकी मेमोरियल ट्रस्ट का अस्पताल भवन बनाते हुए सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई गई, म्युनिसिपल को झूठे शपथ पत्र व दस्तावेज दिए गए, और अस्पताल शुरू कर दिया गया।
मामले में लिखा गया है कि जिस बैंक से इस ट्रस्ट के लिए लोन लिया गया उस बैंक के दस्तावेजों में मुकेश गुप्ता का नाम ही मुख्य कर्ताधर्ता के रूप में दर्ज है। मुकेश गुप्ता के प्रभाव से सरकार की योजनाओं के तहत गरीब जनता और सरकारी कर्मचारियों की रियायती चिकित्सा के लिए मेडिकल स्टॉफ को प्रशिक्षण देने के नाम पर तीन करोड़ का अनुदान ले लिया गया, और उस रकम का इस्तेमाल बैंक का कर्ज पटाने के लिए कर दिया गया। मुकेश गुप्ता ने कर्ज न पटने पर अपने पद के प्रभाव से संपत्ति की कुर्की रूकवाई और बैंक को दबाव में लाकर समझौता करवाया।
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