Welcome to CRIME TIME .... News That Value...

ChhattisgarhCorruption

आबकारी बाबू ने किया जमकर भ्रष्टाचार, कई अधिकारी शामिल। 9 साल में 11 करोड़ की कमाई…! PMO ने मांगी रिपोर्ट।

विधानसभा में धरम लाल ने भाषण में उल्लेख किया आबकारी विभाग बदलापुर के चपेट में

३६ गढ़ प्रदेश में विगत 15 साल के भाजपा के कार्यकाल में रमन सरकार ने जिन नामी-गिरामी भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों को लूप लाइन में डाल रखा था, तख़्त बदलते ही भूपेश सरकार में उन्हीं लोगो को सर आँखों पर बैठाने की क्रिया जोरों पर जारी है। 15 बरस से भूखी-नंगी सरकार के सामने अब छप्पन भोग लगी हुई है और “राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट” के तर्ज पर गली के टुचभैय्ये से लेकर मंत्री-विधायक तक अपनी कोठी भरने में मशगूल हो चुके है। शुरुआत बस्तर से हुई, यहाँ पदस्थ एक आताताई पुलिस अधिकारी जिसे रमन सिंह ने अपने सफ़ेदी में लगे दाग को छिपाने की फ़िराक में बतौर सजा पीएचक्यू में उसे अधिकार विहीन बैठा दिया था; भूपेश ने सत्ता सम्हालते ही सबसे पहले उसे ईओडब्लू का प्रमुख पदभार सौंपकर लोगो में यह सन्देश देने का प्रयास किया कि वे “कांटा से कांटा” निकालने की जुगत में है ! खैर यह तो भूपेश ही जाने कि कांटा निकला कि नहीं लेकिन इतना जरूर है कि; जिस कांटा से वह कांटा निकालना चाह रहे थे, वह कांटा अब पूरी तरह से उन्ही के पैर में घुस चूका है।

दूसरा आबकारी विभाग में आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे एक बाबू जिसके खिलाफ उसके ही विभाग के एक अधिकारी ने भ्रष्टाचार की शिकायत 17 अगस्त 2017 में प्रधानमंत्री के वेबपोर्टल के माध्यम से किया गया था, जिसकी गंभीरता को देखते हुए पीएमओ कार्यालय ने शिकायत पत्र के साथ एक पत्र जिला कलेक्टर को भेजा है, जिसमे यह उल्लेखित है कि सात दिन के अन्दर आबकारी बाबू दिनेश दुबे के खिलाफ आरोपों की जांच रिपोर्ट को पीएमओं को भेजा जाए।
आपको बता दें कि दिनेश दुबे ने शराब माफियों के साथ सांठ-गांठ कर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है और अवैध रूप से कमाई संपत्ति से तकरीबन 11 करोड़ रूपए से अधिक की चल अचल सम्पत्ति अर्जित किया है।
बताते चलें कि तात्कालीन समय बिलासपुर आबकारी विभाग में पदस्थ सहायक ग्रेड तीन बाबू दिनेश दुबे के खिलाफ किसी पीसी अग्रवाल ने 12 अगस्त 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय मे आनलाइन भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। शिकायत में बताया गया कि आबकारी बाबू दिनेश दुबे शराब ठेकेदारों, निर्माताओं से साठगांठ कर मात्र 9 साल में 11 करोड़ से अधिक राशि का आसामी बन गया है। मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने रायपुर स्थित मुख्य आबकारी कार्यालय को पत्र लिखकर जांच का आदेश दिया था। जांच अधिकारी बिलासपुर वेदराम लहरे जिला आबकारी अधिकारी उड़नदस्ता ने 13 जून 2019 को रिपोर्ट आबकारी आयुक्त रायपुर को सौंप दिया है।

दिनेश दुबे पर लगाए गए आरोप और जांच बिन्दु

दिनेश दुबे के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय को आन लाइन 17 अगस्त 2017 में की गयी शिकायत भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। शिकायत में बताया है कि दिनेश दुबे ने दस साल का वेतन अपने खाते से नहीं निकाला है। उसका खाता क्रमांक 10597779727 एसबीआई शाखा सरकण्डा (बिलासपुर) में है। दिनेश ने तीन नए मकान करीब तीन करोड़ से अधिक रूपयो से तैयार किया है। सभी मकान व्हीआईपी लोकेसन में है। जमीन बेशकीमती हैं। इसके अलावा रहने के लिए अलग से मकान बनवाया है।
दिनेश ने तीन महीनों में शासकीय दुकानों से दो करोड़ की वसूली की है। पत्नी मीनाक्षी, बेटी अदिति और पुत्र आदित्य दुबे का खाता एसबीआई कलेक्टोरेट ब्रांच में है। मीनाक्षी का खाता क्रमांक 20271235706 है। हर महीने पन्द्रह हजार रूपए जमा करता है। आदित्य दुबे का खाता क्रमांक 3372210721 और बेटी अदिति का खाता क्रमांक 33722909432 है। दोनों खाते में दिनेश दुबे हर महीने पांच पांच हजार रूपए जमा करता है।
शिकायत में बताया गया है कि नवम्बर दिसम्बर 2016 नोटबंदी के दौरान दिनेश दुबे ने कार्यालय में पदस्थ भृत्यों के खाते में पांच पाच लाख रूपए जमा कराया। इसके बाद कमीशन देकर रूपया निकलवा भी लिया। साल 2015-16 में एफएल 3 बार लायसेंस को फर्जी परमिट देकर लाखों रूपए कमाए। शासन को करोड़ों रूपयों का नुकसान पहुंचाया। दिनेश ने शराब ढुलाई में 45 लाख रूपए नहींं मिलने पर ट्रांसपोर्टर का ठेका निरस्त करवा दिया। इसके बाद अपने चहेते को ठेका दिलाने के एवज में पांच लाख रूपए रिश्वत लिया। टांसपोर्ट बिल पर बीस प्रतिशत कमीशन भी लिया। दुबे ने फर्जी तरीके से स्टेशनरी और फर्नीचर बिल बनाकर हर महीने लाखों रूपए का वारा न्यारा किया है। ठेकेदारों के पंडों की तरह धनंजय गोस्वामी और भाजपा के छोटे नेताओं के साथ मिलकर सरकारी वाहनों में वसूली करता है। दस प्रतिशत कमीशन देने के नाम पर जिले के 71 दुकानों में अवैध तरीके से अहाता चलाकर हर महीने चार से पांच लाख रूपयों की वसूली करता है।
शिकायत के अनुसार दिनेश दुबे नोटबंदी के दौरान कार्यालय के भृत्य गणेशराम महार, महेश राम यादव, नरेश कुमार सोमावार,,हीरालाल छात्रे और संतोष कुमार के खाते में पांच पांच लाख रूपया डाला। बाद में कमीशन छोड़कर रूपए निकाल लिए। शिकायतकर्ता ने सभी लोगों का खाता क्रमांक भी दिया है। शिकायत में इस बात का भी जिक्र है कि दिनेश दुबे ने मिलन चौक में 80 की लाख की लगात से मकान बनवाया है। 36 माल के पीछे मकान बनाने में एक करोड से अधिक रूपए खर्च किए हैं। भारतीय नगर में शीला टॉवर के पास एक करोड़ की लागत से बंगला बनवाया है। लायसेंस दिलाने के नाम पर लाखों रूपयों का कमीशन खाता है। अपने आलाधिकारियों को भी खिलाता है।

जांच के बाद पेश हुआ रिपोर्ट

प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे पत्र और राज्य शासन के आदेश पर वेदराम लहरे जिला आबकारी अधिकारी संभागीय उडनदस्ता को जांच का जिम्मा दिया गया। 13 जून 2019 को जांच अधिकारी ने रिपोर्ट आयुक्त रायपुर के हवाले कर दिया गया है। रिपोर्ट में दिनेश दुबे के परिजनों खासकर बेटा-बेटी और पत्नी के खाते से जुड़ी सभी जानकारियों को छाया प्रति के साथ पेश किया गया है। रिपोर्ट में दिनेश दुबे ने कब और कितना रूपया सभी खातों में डाला गया है सभी जानकारी को स्प्ष्ट किया गया है। नोटबंदी के दौरान पांचो भृत्यों के खाते में डाली गयी रकम की शिकायत को सही बताया गया है। रिपोर्ट में जानकारी दी गयी है कि किस किस तारीख को रूपये डाले और निकाले गए हैं। जांंच के दौरान करोड़ों रूपए की लागत से बनाए गए मकानों की शिकायत को भी पुख्ता होना बताया गया है। जांच अधिकारी ने खाता का स्टेटमेन्ट भी शासन के हवाले किया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दिनेश दुबे ने नोटबंदी के दौरान और इसके पहले और बाद में परिजनों के खाते में हर महीने और शिकायत में बतायी गयी राशि से कहीं ज्यादा मात्रा में रूपया जमा किया है। इसके अलावा दिनेश दुबे के पास बेनामी जमीन भी है।

इस भ्रष्टासुर दिनेश दुबे के काले कारनामे को लेकर धरमलाल कौशिक ने विधानसभा में अपनी बुलंद करते हुए कहा है कि जिसे भाजपा सरकार ने उसके इस वृहद गड़बड़झाला के चलते अपराध नियंत्रक शाखा की कार्रवाई हो रही/गई हो और जिसे जाँच में दोषी करार दे दिया गया हो यह जानते हुए भी भूपेश बघेल की सरकार ने जहाँ उसे बर्खास्त करना चाहिए था को रद्द करते हुए; उसे नियम (जहाँ जून के महीने में तबादला नहीं होता) विरुद्ध जाकर उसका बिलासपुर में तबादला किया गया, इतना ही नहीं उसे पदोन्नति भी प्रदान किया गया ! घोर आश्चर्य यह कि इस भ्रष्ट बाबू दिनेश दुबे के खिलाफ शिकायत के आधार पर सीबीआई जाँच चल रही थी, {शिकायतकर्ता पी सी अग्रवाल उस समय के बिलासपुर जिला आबकारी अधिकारी, जो रिटायर हो गए हैं) को मुख्यालय बुलाये और उनसे लिखवाए कि ये शिकायत उन्होंने नहीं की है, और प्रकरण नस्ती बद्ध कर दिए गया। उक्त जाँच को भी प्रभावित किए जाने की जानकारी स्पष्ट सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page