ChhattisgarhPolitics
सत्ता के लिए कुर्सी दौड़….
।।छत्तीसगढ़।।
दो चरण के चुनाव पूर्ण होने के बाद भी जनता शांत है, उसमें किसी की कोई लहर नहीं है। ऐसे में राज्यवार विश्लेषण करें तो 200 का आंकङा कोई भी दल नहीं छू पायेगा। ऐसे में सहयोगी दल महत्वपूर्ण होंगे। मोदी शाह का तानाशाही रवैया किसी भी सूरत में शिवसेना,जद यू को मोदी की लीडरशीप में साथ देने को राजी नहीं कर पायेगा। वेसे भी बीजेपी ने एन डी ए में कुछ खास छोड़ा भी नहीं है। शिवसेना – 24,जद यू – 27, अकाली – 09 ,लोजपा – 06 बड़े साथी दल है जो सारी सीटें जीत भी लें तो भी 66 सीटें होती है। इक्का-दुक्का सहयोगी भी 10 से अधिक नहीं होंगे। ऐसे में जब तक मोदी बीजेपी को 250 पार न करवा पाये, तो नेतृत्व परिवर्तन असम्भाव्य होगा। गडकरी-सुषमा नया चेहरा हो सकते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस 140 -150 भी सीट जीत लेती है तो सरकार यूपीए की बन जायेगी, लेकिन क्या राहुल गांधी के नेतृत्व पर आम सहमति होगी ? ऐसे में पुनः सरदार मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हो सकते है, या फिर कोई छुपा रुस्तम ? मत भूलिये 2004 में कांग्रेस मात्र 145 सीटें ही मिली थी, और अगले दो कार्यकाल उसने सरकार चलाई।
*अतहर हुसैन