सटोरिया की पार्टी में दो थाना प्रभारी और एएसपी सुखनंदन राठौर शामिल !
फरार सटोरी के पार्टी में शामिल दोनों थाना प्रभारियों को पड़ा भारी, एएसपी सुखनंदन राठौर की भी आएगी बारी ?

रायपुर hct : छत्तीसगढ़ के भिलाई-दुर्ग क्षेत्र में एक सनसनीखेज घटनाक्रम ने पुलिस महकमे को हिला कर रख दिया है। शहर के दो चर्चित पुलिस अधिकारियों और एक कुख्यात सटोरिए की नजदीकियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस विभाग में खलबली मच गई। इस मामले ने तब और तूल पकड़ा जब महादेव सट्टा ऐप मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक चर्चित आईपीएस अधिकारी डॉ. अभिषेक पल्लव के घर पर छापेमारी की। यह घटना न केवल पुलिस की साख पर सवाल उठा रही है, बल्कि जनता के बीच गहरी नाराजगी और अविश्वास पैदा कर रही है।
पार्टी की तस्वीरों ने मचाया बवाल
भिलाई के कैलाश नगर हाउसिंग बोर्ड परिसर में श्री राम हाइट्स में आयोजित एक भव्य और आलीशान पार्टी से शुरू हुआ। इस आयोजन में जामुल थाना प्रभारी निरीक्षक कपिल देव पांडेय, तत्कालीन छावनी थाना प्रभारी उप-निरीक्षक चेतन चंद्राकर (वर्तमान में पुलिस लाइन में पदस्थ), और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुखनंदन राठौर की मौजूदगी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
इन तस्वीरों में ये अधिकारी कुख्यात सटोरिए धर्मेंद्र जायसवाल और उसके भाई मिहिर जायसवाल के साथ आत्मीयता और हंसी-मजाक में नजर आए। खास बात यह है कि धर्मेंद्र जायसवाल पिछले तीन साल से महादेव सट्टा ऐप मामले में फरार चल रहा है, और मिहिर जायसवाल के खिलाफ हाल ही में स्मृति नगर चौकी में प्राणघातक हमले का मामला दर्ज हुआ है।
उक्त वीडियो मिहिर जायसवाल के instagram (https://www.instagram.com/mihir_jaiswal_2001/) पर उपलब्ध में जामुल थाना प्रभारी कपिल देव पांडेय को मिहिर जायसवाल के कंधे पर हाथ रखकर गर्मजोशी से बात करते देखा गया। यह दृश्य पुलिस की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह एक निजी आयोजन था, जिसमें शहर के कई रसूखदार लोग शामिल थे। लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी ने इस मामले को विवादास्पद बना दिया। पुलिस मुख्यालय ने तत्काल संज्ञान लेते हुए दोनों अधिकारियों-कपिल देव पांडेय और चेतन चंद्राकर को उनके पदों से हटाकर पुलिस मुख्यालय से अटैच कर दिया। साथ ही, मामले की गहन जांच के आदेश दिए गए हैं।
सीबीआई की छापेमारी ने बढ़ाई हलचल
इस घटनाक्रम से, महादेव सट्टा ऐप मामले में आईपीएस अधिकारी डॉ. अभिषेक पल्लव पर 26 मार्च 2025 को सीबीआई द्वारा उनके निवास में छापेमारी की याद ताजा कर दिया। छापेमारी की प्रमुख वजह यह रहा कि कहीं डॉ. पल्लव का इस सट्टा रैकेट से कोई संबंध तो नहीं चूँकि उन पर आरोप लगाया गया कि डॉ. पल्लव महादेव सट्टा रैकेट से हर महीने 10 लाख रुपये की प्रोटेक्शन मनी लेते थे। जिसके बाद अब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुखनंदन राठौर की मौजूदगी खाकी पर एक बार फिर दाग लगा दिया है।
पुलिस की साख पर सवाल
यह पूरा प्रकरण पुलिस विभाग के लिए शर्मनाक स्थिति बन गया है। एक ओर, जिस सटोरिए को पकड़ने के लिए पुलिस टीमें दिन-रात मेहनत कर रही थीं, उसी के साथ वरिष्ठ अधिकारी पार्टी में मस्ती करते नजर आए। दूसरी ओर, सीबीआई की छापेमारी ने महादेव सट्टा ऐप मामले में पुलिस के भीतर गहरी साठगांठ की आशंका को बल दिया है। जनता के बीच इस घटना को लेकर गुस्सा और निराशा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर पुलिस ही अपराधियों के साथ इस तरह का रिश्ता रखेगी, तो आम आदमी का भरोसा कैसे कायम रहेगा?
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस मामले को विभाग की छवि को धूमिल करने वाला बताया है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या इस पार्टी में अन्य पुलिस अधिकारी या कर्मचारी शामिल थे और क्या सट्टा रैकेट के साथ और गहरे तार जुड़े हैं। सीबीआई की कार्रवाई के दायरे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक देवेंद्र यादव, और कई अन्य आईपीएस अधिकारी भी हैं, जिससे इस मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
आगे क्या?
फिलहाल, यह मामला भिलाई-दुर्ग में चर्चा का सबसे गर्म विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और सीबीआई की छापेमारी ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। जांच के नतीजे क्या होंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन इस घटना ने पुलिस और जनता के बीच विश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है। जनता की नजर अब इस बात पर है कि क्या इस मामले में सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को सजा मिलेगी, या यह एक और विवाद बनकर रह जाएगा।
