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एपीके फाइल और फिसिंग लिंक से बचना है…मोबाइल में रखें एंटी वायरस

एपीके फाइल और फिसिंग लिंक एक तरह का मालवेयर होती हैं। इसके जरिये हैकर अक्सर स्क्रीन शेयरिंग एप्लीकेशन मोबाइल में इंस्टाल करा देते हैं। इसके बाद मोबाइल का पूरा एक्सेस उनके पास होता है। वह सीधे बैंक खातों से लेकर पे-वालेट में सेंध लगा देते हैं

HIGHLIGHTS

  1. एपीके व फिसिंग लिंक से मोबाइल का नियंत्रण पहुंच जाता है हैकर के पास
  2. एपीके व फिसिंग लिंक पर क्लिक होते ही मोबाइल होता है हैक
  3. एंटी वायरस से बचा सकते हैं मोबाइल को हैक होने से

 ग्वालियर। एपीके फाइल और फिसिंग लिंक…यह दो ऐसे तरीके हैं- जिस पर क्लिक करने के साथ ही आपके मोबाइल का पूरा नियंत्रण आपके नहीं बल्कि हैकर के पास होता है। वाइस काल के जरिये होने वाली ठगी से तो लोग जागरुक हुए हैं, इसलिए थोड़ी सावधानी रखने लगे हैं लेकिन यह दो तरीके ऐसे हैं- जिसमें सिर्फ क्लिक करने से ही मोबाइल हैक हो जाता है। आपके हाथ में कुछ भी नहीं रहता, इसलिए अगर इससे बचना है तो मोबाइल में एंटी वायरस रखना जरूरी है।

अक्सर लोग एंटी वायरस नहीं रखते। एंटी वायरस सिर्फ लैपटाप, डेस्कटाप के लिए ही जरूरी मानते हैं लेकिन जिस तरह से साइबर अपराध बढ़ रहा है। अब मोबाइल में भी रखना जरूरी है। एंटी वायरस न सिर्फ ऐसी फाइल, लिंक को चिन्हित करता है, बाकायदा मोबाइल पर अलर्ट भी देता है। जिससे लोग इससे बच सकते हैं।

एंटी वायरस रखें…मुफ्त वाला नहीं

  • साइबर क्राइम विंग के एसआइ धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि अक्सर जब भी एंटी वायरस मोबाइल में लोड करने की बात आती है तो लोग इसे गूगल से अपलोड करते हैं, बाजार में किसी भी दुकान से ले लेते हैं। यह सबसे खतरनाक है, क्योंकि इस तरह आप ऐसे एंटी वायरस मोबाइल में ले जा रहे हैं जो खुद एक मालवेयर हैं।
  • हमेशा अधिकृत कंपनियों की साइट से ही एंटी वायरस लिया जाना चाहिए। इसके अलावा बाजार में किसी आउटलेट से अगर एंटी वायरस ले रहे हैं तो सावधान रहें। यहां पायरेटेड एंटी वायरस भी मिलता है।
  • बेहतर एंटी वायरस निश्चित समय के लिए ही दिया जाता है। इसके बाद इसे रिन्यु करवाना हाेता है।

एपीके फाइल और फिसिंग लिंक क्यों खतरनाक

जानकार बताते हैं कि एपीके फाइल और फिसिंग लिंक एक तरह का मालवेयर होती हैं। इसके जरिये हैकर अक्सर स्क्रीन शेयरिंग एप्लीकेशन मोबाइल में इंस्टाल करा देते हैं। इसके बाद मोबाइल का पूरा एक्सेस उनके पास होता है। वह सीधे बैंक खातों से लेकर पे-वालेट में सेंध लगा देते हैं क्योंकि सारे एसएमएस भी उन्हीं के पास जाते हैं।

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