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Chhattisgarh

सोशल आडिट की जनसुनवाई, विरोध के फुटे स्वर।

*किरीट ठक्कर।
गरियाबंद। जनपद कार्यालय के सामुदायिक भवन में आज मनरेगा कार्य से संबंधित निकासी बैठक रखी गई थी। जिसमें अप्रेैल 2018 से मई 2018 तक विभिन्न पंचायतो में किये गये नरेगा कार्य का सोशल आडिट किया गया। मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी वीणा धुर्वे के अनुसार विकासखण्ड के 59 पंचायतो में से 28 पंचायतो का सोशल आडिट किया जाना था किंतु 25 पंचायतो का आडिट किया जा सका है।
विदित हो कि इस निकासी बैठक में एडिशनल सीइओ जिला पंचायत एच आर सिदार , एसडीएम बी आर साहु, जनपद अध्यक्षा श्रीमति चुम्मनबाई सोम, कार्यक्रम अधिकारी वीणा धुर्वे, सोशल आडिटरर्स के संभागीय प्रबंधक सौरभ शर्मा सहित विभिन्न पंचायतो के सरपंच, पंच, सचिव व नागरिक भी उपस्थित थे।
     उपस्थित कुछ सरपंचो ने सोशल आडिट के विरूद्ध अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बी आर साहु को आवेदन देकर अपना विरोध प्रकट किया है। आवेदन के अनुसार सरपंचो ने लिखा है कि हम रोजगार गारण्टी योजना के कार्य शासन के दिशा निर्देश अनुसार करवाते हेै , कार्यो का मुल्यांकन तकनीकि सहायक द्वारा किया जाता है किंतु सामाजिक अंकेक्षण दल द्वारा गांवो में जाकर ग्रामीणो को भडकाने का कार्य किया जाता है। अंकेक्षण दल द्वारा सरपंच की बात न सुनते हुऐ मनमानी की जाती है। ग्राम बरबहारा के नागरीक चोवाराम साहु का भी कहना है कि अंकेक्षण दल द्वारा गांव में किसी की बात नही सुनी जाती।
    इस संबंध में ब्लाॅक सरपंच संघ अध्यक्ष यशवंत सोरी का कहना है कि नरेगा कार्यो का मुल्यांकन तकनीकि सहायाको द्वारा किये जाने के बाद एसडीए द्वारा सत्यापित बिल व्हाउचर पुटअप किया जाता है। इसी आधार पर मजदुरी का भुगतान मजदुरो के खाते में और सामाग्री का भुगतान वेंडर के खाते में पहुंचता है, फिर किस आधार पर पंचायतो के सरपंचो के विरूद्ध आरसीसी प्रकरण बनाया जाता है। यशवंत सोरी आगे कहते है कि विभाग के तकनीकि सहायक , अभियंता , एस डी ओ आदि टेक्नीकल पर्सनल है जबकि सोशल आडिट का कार्य करने वाले नानटेक्नेशियन है अब सवाल उठता है कि किस आधार पर सरपंच/सचिव पंचायतो में विकास के कार्य करवाऐं।
इधर नान टेक्नीकल पर्सन के सवाल पर सोशल आडिटर्स के संभागीय प्रबंधक सौरभ शर्मा का कहना हेै कि समाजिक अंकेक्षण का कार्य अनपढ व्यक्ति के द्वारा भी किया जा सकता है।
श्रीमति चुम्मनबाई सोम,
जनपद अध्यक्षा गरियाबंद।
      सरपंचो का कहना जायज है , नरेगा कार्यो का भुगतान मजदुरो और व्यापारी के खाते में जाता है। फिर इस पर सरपंचो के नाम वसुली प्रकरण बनाना उचित नही।

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