अपने नाम की सार्थकता की ओर अग्रसर ३६ गढ़ में अब 27 नहीं 31 जिले हो सकते हैं।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में चार नए जिले बनाने की कवायद में सरकार।

रायपुर 
“गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” का नारा लेकर सत्तानशीं भूपेश सरकार अब प्रदेश में चार नए जिलों का गठन कर सकती है।
जिसकी 26 जनवरी में घोषणा करने की प्रबल संभावना है। इसकी गुपचुप तैयारी चल रही है। खुदा न खास्ता किसी तरह की अड़चन आ गई तो अगले 15 अगस्त तक जरूर नए जिलों का गठन हो जाएगा। ज्ञात हो कि नए जिलों के साथ ही दो नए संभागों का भी प्रस्ताव है।
राजनीतिक गणितबाजों का मानना है कि नए जिलों के गठन से कुर्सी के उलट-फेर में आसानी से सफलता हासिल की जा सकती है। बहरहाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में अब नए जिलों के गठन हो जाने पर जिलों की संख्या 27 से बढ़कर 31 हो जाएगी। जिसके लिए प्रदेश का राजस्व विभाग तैयारी में मशगूल है।
आपको बता दें कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय यहां सिर्फ आठ ही जिले थे, तब मप्र सरकार ने आठ नए जिले बनाए थे। वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश का विभाजन किया गया और छत्तीसगढ़ राज्य बना तब यहां जिलों की संख्या मात्र 16 थी। भाजपा शासनकाल में यह संख्या बढ़कर 27 तक जा पंहुची और अब यह 31 के आंकड़ा को छूने जा रहा है। सम्भव है फेरबदल का यह आंकड़ा 31 पार कर 36 तक पहुंच जाए तो छत्तीसगढ़ का नाम अपने आप मे सार्थक हो जाएगा जिससे इंकार नहीं किया जा सकता।
ये हो सकते हैं नए जिले जिसमे कांकेर जिला से *भानुप्रतापपुर को अलग कर नए जिला बनाने की कवायद है इसी क्रम में राजनांदगांव से काटकर *मोहला/मानपुर, रायगढ़ से *सारंगढ़ को और बिलासपुर से अलग कर *पेंड्रा-मरवाही का नाम लिया जा रहा है। इसके लिए राजस्व अमला नए जिलों की सीमा निर्धारित करने और नक्शा बनाने में जुटा है।

संभागों की संख्या में भी होगा इजाफा 5 से बढ़कर हो जाएंगे 7

प्रदेश में वर्तमान में पांच संभाग हैं। इनमें बस्तर, सरगुजा, रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर शामिल हैं। अब संभागों की संख्या बढ़ाकर सात करने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि कांकेर को अलग संभाग बनाकर इसमें बालोद, कोंडागांव और भानुप्रतापपुर जिलों को जोड़ा जा सकता है। दुर्ग संभाग से राजनांदगांव को अलग कर नया संभाग बनाया जा सकता है। इसमें मोहला मानपुर और कवर्धा जिलों को शामिल किया जा सकता है।

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