गरियाबंद। राज्य में कांग्रेस की सत्ता स्थापित होते ही धान का समर्थन मूल्य 2500 / रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया, अब बिचौलिये इसका पूरा लाभ लेने की फिराक में है, बिचौलियों की कोशिश है कि कम किमत में धान लेकर स्थानीय किसानो के नाम पर उसे शासन को बेच दिया जाए, उंची किमत की आस में बिचौलिये कई तरह के प्रपंच कर रहे है, इन्हे रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अधिकारीयों की टीम बनाई गई है। इस टीम के द्वारा धान के अवैध परिवहन साथ ही बिचौलियों को धान खपाते पकडा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार इसी धर पकड़ की आड़ में खाद्य विभाग के अधिकारी इंसपेक्टर आदि दूर दराज के इलाको में पहुंच छोटे व्यपारीयों के पास से धान के स्टाक/खरीदी की जांच के नाम पर वसूली कर रहे है, पांच से दस ह्रजार रू. छोटे व्यपारीयो से जिले में वसूल किये जा रहे है, वही धान की अवैध निकासी व परिवहन के मामले में बडे व्यपारीयो को खुली छूट दी जा रही है। गरियाबंद, छुरा, कोपरा, देवभोग, अमलीपदर, मैनपुर, गोहरापदर, पाण्डुका, फिंगेश्वर आदि क्षेत्र में व्यपारीयों द्वारा अवैध रूप से धान परिवहन कर अपने गोदामो में पहुचाया जा रहा है। खाद्य विभाग की सर्तकता टीम द्वारा गरियाबंद नगर अंर्तगत एक भी प्रकरण दर्ज नही किया जा सका है ।
धान की ओव्हर लोड ट्रके
धान खरीदी केंद्रो से ट्रांसर्पोटर्स लगातार धान का उठाव कर रहे है, ट्रकों में भरकर धान संघ्रहण केंद्रो तक पहुचाये जा रहे है जिसके लिए परिवहन नियमो धज्जियॉ उडाई जा रही है, 30 टन सें अधिक वजन का धान भरकर परिवहन किया जा रहा है, इसकी जांच संबधित विभागों द्वारा नही की जा रही है ओव्हरलोड़ की वजह से क्षेत्र की सड़कें जर्जर हो रही है, चर्चा है की परिवहनकर्ता एक चक्कर मे दो ट्रीप का भाडा वसूल रहे है ओव्हरलोड पर अब तक कोई कार्यवाही नही किया जाना संदेहो की पुष्टि करता है। इधर यातायात विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा के लिए बैनर पोस्टर लगाा कर नागरीको को जिम्मेदार बनाते यातायात नियमो की जानकारी दे रहे है किन्तु ओव्हरलोड ट्रको के प्रति नरम रूख समझ से परे है।